सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि प्रथम दृष्टया वाहनों के प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) मानदंडों का पालन सुनिश्चित करने और साथ ही साथ थर्ड पार्टी बीमा रखने के लिए एक सही संतुलन बनाना होगा।
यह टिप्पणी जस्टिस एएस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की पीठ ने उस आवेदन पर सुनवाई के दौरान की थी, जिसमें शीर्ष अदालत के 10 अगस्त 2017 के आदेश में संशोधन की मांग की गई थी। उस आदेश में कहा गया था कि बीमा कंपनियां किसी वाहन का बीमा तब तक नहीं करेंगी, जब तक कि बीमा पॉलिसी के रिन्युअल की तारीख पर उसके पास वैध पीयूसी प्रमाणपत्र न हो।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, जो जनरल इंश्योरेंस काउंसिल का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 146 और 147 के तहत थर्ड पार्टी बीमा कराना अनिवार्य है।
जहां अधिनियम की धारा 146 थर्ड पार्टी जोखिम के खिलाफ बीमा की जरूरत से संबंधित है। वहीं धारा 147 पॉलिसी की आवश्यकताओं और दायित्व की सीमा से संबंधित है।
मेहता ने कहा कि शीर्ष अदालत ने अगस्त 2017 में कहा था कि जब तक पीयूसी प्रमाणपत्र न हो, तब तक बीमा कंपनियों द्वारा थर्ड पार्टी बीमा नहीं दिया जाएगा।
उन्होंने कहा, “क्या होता है कि पीयूसी के अभाव में, हमारे सर्वेक्षण के अनुसार 55 प्रतिशत वाहन बिना बीमा के हैं।” उन्होंने आगे कहा, “सरकार द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार 55 प्रतिशत वाहन बिना बीमा के हैं, जिसका मतलब है कि यदि वे दुर्घटनाग्रस्त होते हैं, तो पीड़ित को मुआवजा नहीं मिलता है।”
उन्होंने कहा कि पीयूसी मानदंडों का पालन किया जाना चाहिए और सख्त से सख्त मानदंड लागू किए जाने चाहिए। उदाहरण के लिए यदि वाहन में पीयूसी नहीं है तो उसे पेट्रोल न दिया जाए।
प्रदूषण मामले में शीर्ष अदालत की सहायता कर रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कहा कि इस मुद्दे को एमिकस क्यूरी (विशेषज्ञ निकाय), वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीए क्यूएम) को भेजा जा सकता है।
पीठ ने कहा, “दोनों के बीच एक संतुलन बनाना होगा। एक तो यह है कि प्रदूषण नियंत्रण होना चाहिए और दूसरी बात, यदि इतने सारे वाहन बिना थर्ड पार्टी बीमा के रहते हैं, तो दुर्घटना की स्थिति में गंभीर समस्या होती है।”
मेहता ने कहा कि दुर्घटना की स्थिति में वाहन के मालिक के पास पैसे नहीं हो सकते हैं, भले ही मुकदमा दायर हो जाए। जबकि बीमा कंपनी के मामले में फर्म बाध्य है।
पीठ ने कहा कि मेहता द्वारा यह बताया गया है कि अदालत के अगस्त 2017 के निर्देश के मद्देनजर, बड़ी संख्या में वाहन थर्ड पार्टी बीमा नहीं ले रहे हैं। और दुर्घटनाओं की स्थिति में, दावेदारों को मुआवजा पाने में कठिनाई हो रही है।
पीठ ने कहा, “पहली नजर में, हमारा मानना है कि यह सुनिश्चित करने के लिए एक सही संतुलन बनाना होगा कि वाहन पीयूसी मानदंडों का पालन करते रहें। लेकिन साथ ही, सभी वाहनों में थर्ड पार्टी बीमा होना चाहिए।”
इसने मेहता और न्याय मित्र को समाधान के साथ आने की अनुमति दी। ताकि अगस्त 2017 के आदेश में उचित संशोधन किया जा सके।
पीठ ने आवेदन पर सुनवाई 15 जुलाई को स्थगित कर दी और मेहता और न्याय मित्र दोनों को अगली तारीख से पहले सुझाव देने को कहा।