उत्तर भारत में जारी भयंकर गर्मी के बीच पश्चिम बंगाल में चक्रवाती तूफान परेशान बढ़ाने वाला है। बंगाल की खाड़ी में कम दबाव वाला क्षेत्र बन रहा है। इसे लेकर मौसम विभाग ने 25-26 मई को चक्रवाती तूफान का अलर्ट जारी कर दिया है। चक्रवात प्रभाव से पश्चिम बंगाल और आस-पास के इलाकों में मूसलाधार बारिश हो सकती है। मानसून की शुरुआत होने से पहले बंगाल की खाड़ी में आने वाला यह पहला प्री-मानसून चक्रवाती तूफान है। खास बात यह है कि हिंद महासागर क्षेत्र में चक्रवातों के नामकरण की प्रणाली के अनुसार, इसका नाम रेमल रखा गया है।
मौसम विभाग का कहना है कि बंगाल की खाड़ी में तेज चक्रवात की स्थिति बन रही है। दक्षिण-पश्चिम में जो कम दबाव बना हुआ था वह अब और उससे सटे पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ गया है। 23 मई 2024 को पश्चिम-मध्य और उससे सटे दक्षिण बंगाल की खाड़ी के ऊपर कम दबाव बना हुआ है। यह स्थिति बंगाल की खाड़ी में बड़े चक्रवात का संकेत है। मानसून से पहले इसे बंगाल की खाड़ी का पहला चक्रवात कहा जा रहा है। ये चक्रवात उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ रहा है। चक्रवाती प्रणाली शुक्रवार सुबह तक मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक दबाव में केंद्रित हो जाएगा। बाद में इसके उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ने की संभावना है।
जबकि, 25 मई की सुबह तक यह पूर्व-मध्य खाड़ी के ऊपर चक्रवाती तूफान का तेज रूप ले सकता है। इसके बाद यह लगभग उत्तर की ओर बढ़ेगा और 26 मई की शाम तक एक भीषण चक्रवाती तूफान के रूप में बांग्लादेश और आसपास के पश्चिम बंगाल तटों से टकरा सकता है। 26 मई रविवार शाम तक चक्रवाती तूफान के रूप में बांग्लादेश और निकटवर्ती पश्चिम पश्चिम बंगाल के तटों से टकरा सकता है। रविवार को इस चक्रवात के कारण 102 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने की संभावना है। इस दौरान 26-27 मई को पश्चिम बंगाल, उत्तरी ओडिशा, मिजोरम, त्रिपुरा और दक्षिण मणिपुर के तटीय जिलों में बहुत भारी वर्षा की चेतावनी जारी की गई है।
वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक एससी राघवन का कहना है कि कम दबाव प्रणाली को चक्रवात में बदलने के लिए समुद्र की सतह का तापमान 27 डिग्री सेल्सियस और उससे अधिक होना आवश्यक है। बंगाल की खाड़ी में समुद्र की सतह का तापमान इस समय 30 डिग्री सेल्सियस के आसपास है। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर इस समय बहुत गर्म है, इसलिए ये चक्रवात आसानी से बन सकता है।
राघवन कहते हैं कि मई 2009 को पश्चिम बंगाल के सुंदरवन इलाके में चक्रवाती तूफान ‘आइला’ ने तांडव मचाया था। इस चक्रवाती तूफान से न सिर्फ पश्चिम बंगाल बल्कि बांग्लादेश के तटवर्ती इलाके भी अछूते नहीं रहे थे। अगर इस बार फिर से बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती तूफान बनता है, तो जिस दिन ‘आइला’ आया था ठीक उसी दिन शाम को चक्रवाती तूफान ‘रेमल’ भी आने की संभावना अभी लगाई जा रही है। इसी तरह साल 2020 में चक्रवाती तूफान ‘अम्फान’ का लैंडफॉल पश्चिम बंगाल के समुद्रतटीय शहर दीघा के पास दोपहर 2.30 बजे हुआ था। लैंडफॉल के समय इस चक्रवाती तूफान की रफ्तार लगभग 190 किमी प्रति घंटा थी और कोलकाता को पूरी तरह से तबाह करके यह चक्रवाती तूफान लगभग 110 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दोपहर में करीब 3 बजे गुजरा था। इससे बंगाल में बहुत नुकसान हुआ था।
मुंबई में नहीं दिखेगा कोई असर
इधर, सरकार ने मछुआरों को सलाह दी गई है कि वे तट पर लौट आएं और 27 मई तक बंगाल की खाड़ी में न जाएं। वैज्ञानिकों का कहना है कि समुद्र की सतह के गर्म तापमान के कारण चक्रवाती तूफान तेजी से तीव्र हो रहे हैं और लंबे समय तक अपनी शक्ति बरकरार रख रहे हैं, जिसके चलते महासागर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से अधिकांश अतिरिक्त गर्मी को अवशोषित कर रहे हैं। साल 1880 में रिकॉर्ड शुरू होने के बाद से पिछले 30 वर्षों में समुद्र की सतह का तापमान सबसे अधिक देखा गया है।
इस बीच मौसम विज्ञान विभाग ने मुंबई के लिए राहत भरी खबर दी है। विभाग का कहना है कि मुंबई के लिए तूफान को लेकर किसी भी तरह की चेतावनी जारी नहीं की गई है। इस तूफान के मुंबई के तटों पर पहुंचने की संभावनाएं कम हैं। मुंबई में मौसम शुष्क रह सकता है। हालांकि, रायगढ़ जैसे कुछ इलाकों में हल्की बारिश हो सकती है।