नई दिल्ली: 18वीं लोकसभा के शुरुआती संसद सत्र का आगाज 24 जून से होने जा रहा है। इसी के साथ संसद के दोनों सदनों में टकराव की संभावना भी दिखाई देने लगी है। इस सत्र में जहां एक ओर सरकार की प्राथमिकता नए लोकसभा स्पीकर का चुनाव, सदस्यों का शपथ ग्रहण से लेकर राष्ट्रपति द्वारा संसद के दोनों सदनों के लिए संयुक्त अभिभाषण और उस पर धन्यवाद चर्चा प्रस्ताव होना है। वहीं दूसरी ओर विपक्ष ने अपने तीखे तेवरों से साफ करना शुरू कर दिया है कि वह जनहित से जुड़े मुद्दों को लेकर किसी भी तरह से सरकार के साथ रियायत बरतने के मूड में नहीं है। इस बार विपक्ष भी निचले सदन में संख्याबल के हिसाब से मजबूत दिखाई दे रहा है। जहां सत्तारूढ़ NDA की संख्या सदन में 293 है तो वहीं विपक्षी खेमे की ताकत 232 है। ऐसे में संख्या बल के हिसाब से विपक्ष भी इस बार सरकार से बहुत पीछे नहीं है।
प्रोटेम स्पीकर को लेकर टकराव की स्थिति
सत्र में टकराव की शुरुआत प्रोटेम स्पीकर (अस्थायी अध्यक्ष) की नियुक्ति के साथ ही हो गई। आने वाले दिनों में सदन में सबसे बड़ा मुद्दा NEET एग्जाम से जुड़ा मामला बनने जा रहा है। कांग्रेस ने पहले ही साफ कर दिया है, वह इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाएगी। पार्टी नेता राहुल गांधी ने बाकायदा स्टूडेंट से बात कर उनसे वादा किया है कि वह इस मामले में उन्हें न्याय दिलवाएंगे। कांग्रेस इस मामले की जांच कराने की मांग भी कर रही है। दूसरी ओर, टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने तीन आपराधिक कानूनों को लेकर पीएम मोदी को लेटर लिखा है, जिसमें उन्होंने हड़बड़ी में पारित तीन नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन को टालने की अपील की है। ये तीनों कानून 1 जुलाई से लागू होने हैं। ममता ने इन कानूनों की नए सिरे से संसदीय समीक्षा पर जोर देने की बात कही है। इसके अलावा, देश में पेपर लीक के बढ़ते मामले, मणिपुर के ताजा हालात से लेकर रेल दुर्घटनाएं, गुजरात के राजकोट में गेमिंग जोन में हुई आगजनी जैसे मामलों को लेकर विपक्ष सरकार को घेरने की योजना बना रहा है।