रायपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अगले साल सौ साल पूरे हो रहे हैं। इस शताब्दी वर्ष में आरएसएस देशभर में कार्यक्रम करेगा। किस तरह के कार्यक्रम होने हैं, इसको लेकर लगातार सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत का राज्यों का दौरा चल रहा है। इसी कड़ी में उनका 27 से 31 दिसंबर तक रायपुर प्रवास होगा। यह संगठनात्मक प्रवास है।
इस दौरान वे अलग-अलग सत्र में कार्यकर्ताओं व वरिष्ठ अधिकारियों के साथ संगठन को मजबूत करने पर चर्चा करेंगे। शताब्दी वर्ष में आरएसएस का बड़ा फोकस पंच परिवर्तन पर है। इसके बारे में जानकारी देकर बताया जाएगा, क्या-क्या करना है। 1925 में स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस वर्ष अपनी स्थापना का शताब्दी वर्ष मना रहा है। इसके लिए देश के अलग-अलग प्रांतों में सरसंघचालक मोहन भागवत का प्रवास हो रहा है। इस प्रवास में संबंधित प्रांत में संगठनात्मक कार्यों पर वह चर्चा करते हैं। इसी क्रम में छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संगठनात्मक विषयों व शताब्दी वर्ष पर चलने वाले कार्यक्रमों पर वह संगठन के अधिकारियों व कार्यकर्ताओं से संवाद करेंगे।
विभिन्न सत्र में लेंगे बैठक
सरसंघचालक डॉ. भागवत अपने प्रवास के दौरान विषय आधारित विभिन्न बैठकों में संगठनात्मक कार्यों की चर्चा करेंगे। सरसंघचालक की इन बैठकों में कार्य विस्तार के साथ कार्यकर्ताओं व स्वयंसेवकों के गुणात्मक विकास पर विशेष रूप से चर्चा होगी। संघ ने शताब्दी वर्ष में प्रत्येक गांव व शहरी क्षेत्र तक शाखा के माध्यम से पहुंचने का लक्ष्य रखा है। सरसंघचालक का प्रवास छत्तीसगढ़ में संघ कार्य को सर्वव्यापी एवं सर्वस्पर्शी बनाने की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।
ये हैं पंच परिवर्तन
संघ अपने शताब्दी वर्ष में पंच परिवर्तन के लिए काम करेगा, जिसकी चर्चा मोहन भागवत राज्यों के दौरे पर कर रहे हैं। पंच परिवर्तन में सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण, स्व आधारित जीवन शैली और नागरिक कर्तव्य के साथ ही महर्षि दयानंद सरस्वती, भगवान बिरसा मुंडा, अहिल्यादेवी होलकर, रानी दुर्गावती और अनुकूल चंद ठाकुर के सत्संग अभियानों पर भी चर्चा होगी।