आरक्षण नियमों का पालन के किए बिना जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में सहायक समिति प्रबंधक व समिति प्रबंधक के 80 पदों पर नियुक्ति की जा रही थी। मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में यह फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद बुधवार को न सिर्फ नियुक्ति प्रक्रिया निरस्त की गई, बल्कि मामले में दोषी मिले पांच अफसरों को निलंबित कर नए सिरे से चयन प्रक्रिया शुरू कराने के आदेश दिए हैं। इस दौरान दो अफसरों के खिलाफ शोकॉज नोटिस भी जारी किया गया है।
मप्र सहकारिता विभाग ने 14 मार्च 2024 को आदेश जारी कर 80 पदों के लिए चयन प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन गड़बड़ी की आशंका पर कई लोगों ने उच्चाधिकारियों के पास शिकायत की। जिस पर संज्ञान लेते हुए कलेक्टर दीपक सक्सेना ने जांच कमेटी गठित की। साथ ही तीन सदस्यीय कमेटी की जांच में गड़बड़ी की पुष्टि होने के बाद कलेक्टर दीपक सक्सेना ने भर्ती प्रक्रिया निरस्त कर जल्द नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया शुरू किए जाने के आदेश दिए।
इन अधिकारियों पर हुई कार्रवाई
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने मामले में सहकारिता विभाग के निरीक्षक आशीष शुक्ला को निलंबित कर विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही तत्कालीन वरिष्ठ सहकारी निरीक्षक प्रशांत कौरव, संभागीय संयुक्त आयुक्त सहकारिता पीके सिद्धार्थ, स्थापना प्रभारी सुभाष पचौरी, जिला सहकारी बैंक जबलपुर के तत्कालीन सीईओ देवेन्द्र राय को निलंबित कर सभी के खिलाफ विभागीय जांच प्रस्तावित की है।
जांच के दायरे में यह अधिकारी
मामले में सहकारिता के तत्कालीन उपायुक्त अखिलेश निगम व तत्कालीन सहायक प्रबंधक चंद्रशेखर पटले की भूमिका भी सवालों में हैं। उन्होंने ही चयन प्रक्रिया की अनुशंसा दी थी। आवेदकों की पात्रता का परीक्षण भी इन्हीं अफसरों ने किया था, लेकिन गड़बड़ी नहीं पकड़ पाए।
कलेक्टर दीपक सक्सेना का मानना है कि तत्कालीन उपायुक्त अखिलेश निगम व तत्कालीन सहायक प्रबंधक चंद्रशेखर पटले अपने दायित्वों का निर्वहन सही तरीके से करते तो इतनी बड़ी चूक नहीं होती। उक्त दोनों अफसरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रस्तावित की गई है। सहकारिता विभाग के आयुक्त को प्रस्ताव भेजा है। साथ ही शो-काज नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है।