Corona New Variant JN. 1: भारत में कोरोना के नए वैरिएंट ने एक बार फिर सरकार की चिंता बढ़ा दी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, हाल ही में केरल में कोरोना के JN.1 वैरिएंट का पता चला है।
78 साल की एक महिला की जांच में इस वैरिएंट की पुष्टि हुई, इसके अलावा तमिलनाडु में भी एक व्यक्ति में यह वैरिएंट पाया गया है। इसके अलावा दुनिया के कई देशों में यह वैरिएंट तेजी से अपने पैर पसार रहा है। सिंगापुर में एक सप्ताह के भीतर ही इस वैरिएंट के 56 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि कोरोना का नया वैरिएंट विकसित हो रहा है और यह खुद को लगातार बदल रहा है। WHO ने कहा है कि इसके स्पाइक प्रोटीन में सिर्फ एक अतिरिक्त म्यूटेशन है।
इस बीच, केरल में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है। केरल में सोमवार को कोविड-19 के 111 नए मामले सामने आए, जिसके बाद राज्य में इलाज करा रहे मरीजों की संख्या बढ़कर 1634 हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश में सोमवार को 127 नए मामले सामने आए, जिसमें अकेले 111 केस केरल के हैं। वहीं पिछले 24 घंटे में केरल में कोविड-19 से एक मरीज की मौत भी हो गई। इसी के साथ गत तीन साल में कोरोना वायरस से राज्य में मरने वालों की कुल संख्या बढ़कर 72,053 हो गई। ऐसे में सरकार ने सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी की है और सतर्क रहने को कहा है।
आइए जानते हैं कोरोना का यह नया वैरिएंट JN.1 कितना खतरनाक है? यह अन्य वैरिएंट से कितना अलग है? JN.1 वैरिएंट कैसे हमारी इम्यूनिटी को चकमा दे रहा है? इससे कैसे बचा जा सकता है? और क्या हमें एक और बूस्टर खुराक की जरूरत है…
पहले जानिए JN.1 वैरिएंट क्या है?
कोरोना का JN.1 वैरिएंट BA.2.86 वैरिएंट का वंशज है, जिसे आमतौर पर पिरोला कहा जाता है और यह बिल्कुल नया नहीं है। इस वैरिएंट का पहला मामला सितंबर में संयुक्त राज्य अमेरिका में पाया गया था और वैश्विक स्तर पर पहला मामला इस साल जनवरी की शुरुआत में पाया गया था। जबकि जेएन.1 में पिरोला की तुलना में स्पाइक प्रोटीन पर केवल एक अतिरिक्त म्यूटेशन होता है। जबकि पिरोला में स्पाइक प्रोटीन पर 30 से अधिक म्यूटेशन होते हैं। Sars-CoV-2 के स्पाइक प्रोटीन पर म्यूटेशन मायने रखता है क्योंकि वे मानव कोशिका पर रिसेप्टर्स से जुड़ते हैं और वायरस को उसमें प्रवेश करने की अनुमति देते हैं।
कितना खतरनाक है नया वैरिएंट?
कोरोना के इस नए वैरिएंट को अन्य वैरिएंट के मुकाबले फिलहाल खतरनाक माना जा रहा है, क्योंकि यह नया सब-वैरिएंट हमारे इम्यून सिस्टम को चकमा देने में माहिर है। इसके अलावा इसके लक्षण भी पिछले वैरिएंट जैसे ही हैं। संक्रमित व्यक्ति को खुराक, बहती नाक, गले में खराश, सिरदर्द और दस्त जैसे लक्षण हो सकते हैं। हालांकि, इस वैरिएंट के कारण अत्यधिक गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने में वृद्धि के मामले बेहद कम हैं।
क्यों हैं चिंता का कारण?
वैश्विक स्तर पर पिरोला और इसके वंशज जेएन.1 के कारण होने वाले मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है। संयुक्त राज्य अमेरिका, सिंगापुर और चीन में मामलों का पता चला है। WHO के एक बयान में कहा गया है कि वैश्विक डेटाबेस ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन शेयरिंग ऑल इन्फ्लुएंजा डेटा (GISAID) पर अपलोड किए गए Sars-CoV-2 अनुक्रमों में पिरोला और उसके वंशजों की हिस्सेदारी 17% है। दिसंबर की शुरुआत तक, इनमें से आधे से अधिक अनुक्रम JN.1 के थे। संयुक्त राज्य अमेरिका में कोविड-19 वैरिएंट में JN.1 की हिस्सेदारी 15% से 29% है।
क्या एक और बूस्टर की जरूरत है?
स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, सिंगापुर के आंकड़ों से पता चलता है कि जिन लोगों ने अपनी आखिरी कोविड-19 वैक्सीन की खुराक एक साल से अधिक पहले ली थी, उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता 1.6 गुना अधिक थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि फिलहाल इस वैरिएंट से अस्पताल में भर्ती होने या जान के जोखिम का खतरा कम है। शुरुआती दिनों में मरीज में लक्षण नजर आते हैं और वह धीरे-धीरे ठीक होता जाता है। अगर मरीज ठीक नहीं हो रहा है तो डरने की जरूरत नहीं है और स्ट्रेन कमजोर होता चला जा रहा है। ऐसे में अतिरिक्त बूस्टर खुराक की जरूरत नहीं है। हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस वैरिएंट पर काम कर रहे हैं।