बीजापुर। बीजापुर जिले के इस वर्ष में आश्रमों/पोटा केबिनों में पढ़ने वाले 10 आदिवासी बच्चों ने किसी न किसी बीमारी से दम तोड़ दिया. यह सीधे-सीधे व्यवस्था से जुड़ा मुद्दा है, लेकिन इसके बजाए कांग्रेस और भाजपा के बीच अधीक्षक की नियुक्ति को लेकर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. दरअसल, बीते दिनों बीजापुर में लगभग 30 से 35 पोटा केबिनों/आश्रमों के नये अधीक्षकों के नियुक्ति का कलेक्टर ने आदेश जारी किया है. आदेश जारी के दौरान स्थानीय भाजपा नेताओं में भारी नाराजगी व्यक्त देखने को मिल रही हैं, भाजपा के नेता सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखकर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं.भाजपा के स्थानीय नेता प्रशासन पर आरोप लगाते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिख रहें कि विष्णुदेव की सरकार में बीजापुर में अफसरशाही चल रहा है, जितने अधीक्षकों को नवीन पदस्थापना दिया गया है, वे सभी बीजापुर कांग्रेसी नेताओं के करीबी हैं, जिससे आगामी पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता हैं.वहीं बीजापुर के विपक्ष के विधायक विक्रम मंडावी ने फेसबुक पर पोस्ट कर सरकार और स्थानीय भाजपा नेताओं पर आरोप लगाते कहा कि-एक तरफ़ पोटा केबिनों और आश्रमों में पढ़ाई कर रहे बच्चों के लगातार मौते हो रही है, पर किसी भी ज़िम्मेदार अधिकारी या कर्मचारी पर कार्रवाई नहीं हो रही है? इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि बीजापुर में भाजपा के नेता भारी-भरकम पैसा लेकर अधीक्षक बनाने में लगे हैं.
क्या है पोटा केबिन
पोटा केबिन एक आवासीय स्कूल व्यवस्था है, जिसे छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2011 में एक प्रयोग के रूप में शुरू किया गया था. छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों (बस्तर) में स्कूली भवन माओवादियों ने ध्वस्त कर दिए हैं. इनमे से बहुत सारे ऐसे स्कूल हैं, जिन्हें फिर से बनाया नहीं जा सकता है. ऐसे में बस्तर संभाग के कई क्षेत्रों में पोटा केबिन स्कूलों का निर्माण किया गया है, जहां पर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से बच्चों को आवासीय स्कूल की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है.