मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 24 दिसंबर, रविवार को है। रविवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है। प्रदोष व्रत त्रयोदशी के दिन रखा जाता है। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत महत्व है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस व्रत में प्रदोष काल में पूजा का बहुत महत्व है। भगवान शंकर और माता पार्वती की कृपा से मनुष्य को सभी प्रकार के सुखों का अनुभव होता है। वर्तमान में मकर, कुंभ और मीन राशि पर शनि की साढ़ेसाती और वृश्चिक और कर्क राशि पर शनि की ढैय्या है। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या होने पर व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। साढ़ेसाती और शनि की ढैया से राहत पाने के लिए लिंगाष्टकम स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। लिंगाष्टकम् स्तोत्र का जाप करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। और पढ़ें लिंगाष्टकम् स्तोत्र-
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लिंगाष्टकम स्तोत्र
ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् ।
जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥1॥
देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् ।
रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥2॥