युक्तियुक्तकरण की जैसे जैसे जानकारी लोगों को और शिक्षकों के साथ-साथ पालकों को हो रही है तो उनकी नाराजगी बढ़ती जा रही है। वह धीरे-धीरे इस युक्तियुक्तकरण के खिलाफ होते जा रहे हैं और अगर देखा जाए तो यह सभी जागरूक पालक अपने बच्चों के भविष्य की चिंता कर रहे हैं, उनका सोच एक तरह से सही है कि प्राथमिक स्कूल में दो शिक्षकों से किस तरह से अध्यापन का कार्य लिया जाएगा और आज के दौर में बढ़ती हुई महंगाई में शिक्षा बहुत महंगी हो गई है जिसके लिए सरकार को सोचना चाहिए और शालाओं में प्राइवेट स्कूलों की तरह सुविधा देनी चाहिए जिससे गरीब मध्यम वर्ग के बच्चें भी टेक्नोलॉजी से युक्त शिक्षा प्राप्त कर सके और देश के विकास में अपना हाथ बंटा सके तो सरकार ठीक इसके उलट शिक्षकों की संख्या कम करने में लगी है जिससे शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो जाएगी,जिससे पालक काफ़ी नाराज़ है।
सर्व समाज व शाला प्रबन्धन समिति दुर्गूकोन्दल के पदाधिकारियो ने युक्तियुक्तकरण के खिलाफ रैली निकालकर मुख्यमंत्री व राज्यपाल के नाम से ज्ञापन सौपा। वे सरकार से सवाल पूछना चाहते है कि किस तरह 2 शिक्षक प्राथमिक शाला के 1 से 5 कक्षा को पढ़ाएंगे और क्या सारे नेता अधिकारी अपने बच्चें को ऐसे स्कूल में भेजना पसंद करेंगे जहाँ केवल 2 ही शिक्षक हो?
ज्ञापन में न केवल युक्तियुक्तकरण की बात है बल्कि उसमें कई जो शिक्षा विभाग में खामियां हैं उसके बारे में भी पालकों ने लिखा है उनका साफ-साफ कहना है कि कमजोर बच्चों को अगले क्लास में पास करके ना भेजा जाए और वह यह भी कहना चाहते हैं कि स्कूलों में जो सुविधाएं दी जा रही है वो कमतर है। जो एजुकेशन में कई तरह का प्रयोग किया जा रहा है उसे प्रयोग को भी बंद करने के लिए क्या-क्या की मांग बालकों ने रखी है और साथ ही बस्तर में जो शिक्षा का स्तर है उसके बारे में भी उन्होंने चर्चा करते हुए सुधारने की बात कहीं है।
सरकार के लिए दिनों दिन शिक्षक युक्तिकरण की जो बात है वह गले का फांस बनते हुए नज़र आ रही है, शिक्षक समाज पहले से ही काफी ज्यादा नाराज है और अब पालक भी अगर रास्ते पर रैली निकालते हुए अगर रोड पर उतर जाएंगे तो सत्ता पक्ष को काफी ज्यादा मुश्किल आ सकती है और इस युक्तियुक्तकरण को सोच समझकर के सही तरीके से इसको लागू करना चाहिए।