राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने शीतलहर और ठंड से बचाव के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किया है. यह एडवायजरी न केवल इंसानों के लिए बल्कि पशुओं के लिहाज से पशुपालकों और कृषि के लिहाज से किसानों के लिए जारी किया गया है.
जारी एडवायजरी में नागरिकों से कहा गया है कि शीत लहर आने के पहले पर्याप्त संख्या में गरम कपड़े रखें, ओढ़ने के लिए बहुपरत के कपड़े भी उपयोगी हैं. आपातकाल की आपूर्ति हेतु तैयार रहे. शीत लहर के दौरान यथासंभव घर के भीतर रहें, ठंडी हवा से बचने के लिए कम से कम यात्रा करें. सूखा रहें, यदि गीले हो जाएं तो शरीर की गर्मी को बचाने के लिए शीघ्रता से कपड़े बदलें. निरंगुल दस्ताने ठंड में ज्यादा गरम और ज्यादा अच्छा रक्षा कवच होता है.मौसम की ताजा खबर के लिए रेडियो सुने, टीवे देखें और समाचार पत्र पढ़ें. नियमित रूप से गरम पेय सेवन करें. बुजुर्ग और बच्चों को ठीक से देखभाल करें. ठंड में पाइप जम जाता है, इसलिए पेयजल का पर्याप्त संग्रहण करके रखें. उंगलियों, अंगूठों के सफेद होना या फीकापन, नाक के टिप में शीत दंश लक्षण प्रकट होते है. शीत दंश से प्रभावित क्षेत्रों क्षेत्रों को गर्म नहीं करें, गर्म पानी डालें (शरीर के अप्रभावित हिस्सों के लिए तापमान स्पर्श करने के लिए आरामदायक होना चाहिए.
शीत लहर के दौरान हायपोथरमिया होने की स्थिति में प्रभावित व्यक्ति को गरम स्थान पर ले जाकर उसके कपड़े बदले. प्रभावित व्यक्ति के शरीर को शरीर के साथ संपर्क करके गरम करें, कंबल के बहु परत, कपड़े, टावेल या शीट से ढकें. शरीर को गरम करने के लिए गरम पेय दें. शराब नहीं दें. हालत बिगडऩे पर डॉक्टर की सलाह लें. हायपोथरमिया होने की स्थिति में प्रभावित व्यक्ति शराब का सेवन न करें, यह शरीर के तापमान को घटाता है. शीतदंश क्षेत्र की मालिश न करें, इससे अधिक नुकसान हो सकता है. कंपकंपी को नजरअंदाज नहीं करें. यह एक महत्वपूर्ण पहला संकेत है कि शरीर गर्मी खो रहा है और प्रभावित व्यक्ति को तुरंत घर के भीतर करें.