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कोरबा। विद्युत कंपनी में नियम विरुद्ध पदोन्नति पाने वाले अधिकारियों को अब वापस उनके पद पर भेजा जाएगा। हाईकोर्ट ने विद्युत विभाग के सामान्य प्रशासन विभाग को पदोन्नति नियम में बदलाव करने का आदेश दिया है। ऐसे में जिन अधिकारियों का प्रमोशन पदोन्नति नियम वर्ष 2003 के 5-रोस्टर के हिसाब से हुआ है उन्हें वापस उनके मूलपद पर भेजा जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि, जिस नियम के अनुसार विद्युत कंपनी के अधिकारियों को प्रमोशन दिया गया है। उसके अनुसार 12 प्रतिशत एससी और 32 प्रतिशत एसटी का भी आरक्षण है। विद्युत कंपनी एम नागराज के प्रकरण पर सुप्रीम कोर्ट पर 7 जजों की बेंच ने वर्ष 2006 में पदोन्नति मात्रात्मक आंकड़ों के आधार पर जारी करने के निर्देश दिए थे। जिसमें अनुसूचित जाति, जनजाति का पदों पर प्रतिनिधित्व व विभाग की क्षमताओं पर पड़ने वाले असर को देखा जाना था। इसी क्षमताओं पर पड़ने वाले असर को देखा जाना था। इसी के आधार पर छग विद्युत कंपनी के मुख्य अपीलकर्ता विष्णु प्रसन्न तिवारी और आशीष अग्निहोत्री ने हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट ने विद्युत कंपनी के सामान्य प्रशासन विभाग को मात्रात्मक आंकड़ों के आधार पर दोबारा रोस्टर बनाने का निर्देश किया।
जल्द ही कंपनी के अधिकारी देंगे प्रेजेटेंशन
अक्टूबर वर्ष 2019 में सामान्य प्रशासन विभाग ने मनमाने तरीके से नई अधिसूचना जारी कर दी और नया रोस्टर बना दिया। इसके बाद विभाग के अधिकारियों ने हाईकोर्ट में दोबारा अपील की। तब हाईकोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण के नियम 5 को निरस्त कर पदोन्नति नियम 2003 के आधार पर प्रमोशन जारी करने का निर्देश दिया है। इसके अनुसार वरिष्ठता सूची के अनुसार ही प्रमोशन दिया जाएगा। जिन्हें पदोन्नत किया गया है रिवर्ट किया जाएगा। पदोन्नति देते समय कहा गया था कि बाद में किसी प्रकार की अपील आने पर इसे रिवर्ट किया जा सकता है। ऐसे में अब विद्युत कंपनी के लगभग 4 हजार अधिकारियों को वापस उनके मूलपद पर भेजा जा सकता है। विद्युत कंपनी के आला अधिकारियों ने इस मामले को लेकर कंपनी के चेयरमेन के सामने प्रेजेटेंशन देने के लिए रिपोर्ट तैयार कर लिया है। आने वाले दिनों में चेयरमेन के समक्ष कंपनी के अधिकारी प्रेजेटेंशन देंगे।
हाईकोर्ट ने जारी किया आदेश
राष्ट्रीय महामंत्री बीएमएस आरएस जायसवाल ने बताया कि, विद्युत कंपनी में पदोन्नति मामले को लेकर हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया है। जिसके बाद अब पदोन्नति पाने वाले अधिकारियों को रिवर्ट किया जा सकता है। कंपनी में पूर्णकालिक चेयरमैन नहीं होने के कारण अधिकतर कार्य रुके हुए हैं।
प्रबंधन के निर्णय का इंतजार
छत्तीसगढ़ विद्युत कर्मचारी संघ फेडरेशन-01 के महासचिव आरसी चेट्टी ने बताया कि , विद्युत कंपनी में पदोन्नति मामले को लेकर हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया। जिसके बाद विद्युत कंपनी ने भी आदेश निकाला है। प्रमोशन आदेश में ही कंपनी द्वारा पदोन्नत कर्मियों को रिवर्ट किए जाने का उल्लेख किया गया था। अब देखना यह है कि इस मामले में कंपनी प्रबंधन क्या निर्णय लेता है।
वर्ष 1989 में पदोन्नति पाने वाले को भी खतरा
पदोन्नति नियम 2003 के आधार पर अब तक 2 हजार कर्मचारी और 2 हजार अधिकारियों की पदोन्नति हो चुकी है। इसमें वर्ष 1989 से अब तक के कर्मचारी और अधिकारी शामिल हैं। यही वजह है कि पदोन्नति पाने वाले अधिकारी कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ है।
रिवर्ट होने वाले अधिकारियों से होगी रिकवरी
यहां बताना होगा कि कोर्ट के आदेश के बाद अब इस मामले में अगर पदोन्नति पाने वाले अधिकारियों को रिवर्ट कर वापस उनके मूलपद पर भेजा जाएगा तो उनसे रिकवरी भी की जा सकती है। पदोन्नति को लेकर विद्युत कंपनी के कर्मचारी संघ कंपनी के एमडी व चेयरमैन को ज्ञापन सौंपने की तैयारी में है। वहीं विद्युत कंपनी के कर्मचारी संघ के सदस्यों ने मुख्यमंत्री से समय की मांग की है।