मोदी सरकार ने देश की में हाई ब्यूरोक्रेट्स के 45 पदों के लिए लेटरल एंट्री (Lateral Entry) के माध्यम से भर्ती के विज्ञापन को रद्द कर दिया है। इस भर्ती पर विपक्ष ने सवाल उठाए थे और इसे आरक्षण को खत्म करने की कोशिश बताया था। इसी विवाद के बाद मोदी सरकार ने यह फैसला लिया है। यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर लिया गया है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरमैन को इस संबंध में चिट्ठी लिखा है।
राहुल गांधी का विरोध और लेटरल एंट्री विवाद
बता दें कि राहुल गांधी ने कहा था कि लेटरल एंट्री के माध्यम से सरकार एससी-एसटी और ओबीसी वर्गों के अधिकार छीन रही है। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार आरएसएस (RSS) के लोगों को सरकारी पदों पर भर्ती कर रही है। दूसरी ओर, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने पलटवार करते हुए कहा कि लेटरल एंट्री की शुरुआत कांग्रेस ने की थी। मनमोहन सिंह, मोंटेक सिंह आहलूवालिया और सोनिया गांधी को भी लेटरल एंट्री के माध्यम से नियुक्त किया गया था।
कांग्रेस ने बीजेपी की आरक्षण विरोधी योजनाओं को रोका: खड़गे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने लेटरल एंट्री के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कांग्रेस ने भाजपा की आरक्षण विरोधी योजनाओं को रोक दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि यह निर्णय संविधान की शक्ति को दर्शाता है, जो तानाशाही सत्ता के अहंकार को पराजित कर सकता है। खड़गे ने कहा कि कांग्रेस पार्टी दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों के अधिकारों की लड़ाई लड़ती रहेगी।
लेटरल एंट्री पर राहुल गांधी का हमला
राहुल गांधी ने लेटरल एंट्री को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि लेटरल एंट्री के माध्यम से मोदी सरकार एससी, एसटी और ओबीसी वर्गों के अधिकार छीनने का काम कर रही है। यह संविधान पर सीधा हमला है। राहुल ने आरोप लगाया कि सरकारी पदों पर आरएसएस के लोगों को नियुक्त किया जा रहा है, जो संविधान का उल्लंघन है।
चिराग पासवान की प्रतिक्रिया
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी लेटरल एंट्री पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकारी नियुक्तियों में आरक्षण होना चाहिए, इसमें किसी भी प्रकार की कमी नहीं होनी चाहिए। पासवान ने कहा कि निजी क्षेत्र में तो पहले से ही आरक्षण नहीं है, लेकिन सरकारी पदों पर लेटरल एंट्री के माध्यम से भर्ती करना चिंता का विषय है। उन्होंने इस मुद्दे पर सरकार के समक्ष अपनी चिंता व्यक्त की और भविष्य में इस पर सशक्त आवाज उठाने का आश्वासन दिया।
क्या है लेटरल एंट्री की प्रक्रिया और क्यों है विवाद
लेटरल एंट्री का मतलब है कि बिना परीक्षा के सीधी भर्ती करना। केंद्र सरकार लेटरल एंट्री के माध्यम से यूपीएससी के बड़े पदों पर विशेषज्ञों की सीधी भर्ती करती है। इस प्रक्रिया में राजस्व, वित्त, कृषि और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में लंबे समय से काम कर रहे लोगों की भर्ती की जाती है। यह प्रक्रिया 2018 में शुरू की गई थी और इसके माध्यम से 2019 में विभिन्न मंत्रालयों में 9 नियुक्तियां की गई थीं।