पुलिस अधिकारियों के कार्यशैली पर हाईकोर्ट ने उठाए सवाल
अदालत ने अपने आदेश में कहा, मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए जांच उप महानिरीक्षक (कानून एवं व्यवस्था) द्वारा नामित वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की देखरेख में दो महीने के भीतर पूरी की जाएगी। साथ ही कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को ढिल्ला रवैया अपनाने पर सख्त फटकार लगाई है। साथ ही निष्क्रियता, कर्तव्य में लापरवाही के लिए दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के भी निर्देश दिए गए हैं।
पीड़िता के शिकायत दर्ज न करने पर गुजरात हाईकोर्ट नाराज
बता दें बुल्गारिया नागरिक ने दुष्कर्म, हमले, आपराधिक धमकी, मानव तस्करी सहित अन्य अपराधों के लिए एक भारतीय दवा कंपनी के सीएमडी के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया था, क्योंकि पुलिस अधिकारियों ने मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की थी। याचिका में पीड़िता ने कहा कि पुलिस से संपर्क करने और शिकायत दर्ज करने के बावजूद उन्होंने मामला दर्ज नहीं किया था। उन्होंने कहा, जब वह आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ एक शिकायत के साथ मजिस्ट्रेट अदालत में पहुंचीं, तो उसे भी खारिज कर दिया।
अदालत ने कहा कि मजिस्ट्रेट ने कानून के स्थापित सिद्धांतों की अनदेखी की इसलिए उसके आदेश को रद्द किया जाना आवश्यक है। केवल शिकायत के आरोपों की जांच का आदेश देने से किसी भी तरह से किसी भी तरह का पूर्वाग्रह नहीं होगा। बुल्गारिया नागरिक ने अपनी याचिका में कहा कि वह फ्लाइट अटेंडेंट की नौकरी के लिए 24 नवंबर, 2022 को फार्मा फर्म के साथ जुड़ गई थी। इस दौरान उसकी नौकरी प्रोफाइल बदल दी गई और उसे पर्सनल अटेंडेंट बना दिया गया। जिसके बाद यात्रा करने और फर्म के सीएमडी के साथ रहने के लिए नियुक्त किया गया था।