शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है अगर इसकी बात करें तो हमारे जीवन मे मां-बाप के अलावा एक शिक्षक ही होता है जो निःस्वार्थ भाव से हमे ज्ञान से परिपूर्ण बनाता है। शिक्षक की ज्ञान की वजह से ही कोई कलेक्टर, डॉक्टर, एसपी, जज, मंत्री के अलावा ऊंचे ऊंचे पदों पर जाता है। शिक्षक के इसी निःस्वार्थ भाव से दिए गए ज्ञान के लिये उनका शुक्रिया अदा करने के लिए शिक्षक दिवस (Teacher’s Day) मनाया जाता है।
हर इंसान के जीवन में माँ के अलावा शिक्षक की बहुत ही अहम भूमिका होती है, कहा जाता है कि किसी बच्चे का प्रथम गुरु माँ होती है उसके बाद शिक्षक का स्थान होता है।जब कोई बच्चा छोटा होता है तो उसके पालन पोषण से लेकर उसमें अच्छे संस्कार एक माँ ही सिखाती है। फिर बच्चा धीरे धीरे बड़ा होता है और यहाँ से शिक्षक का रोल शुरू होता है। शिक्षक बच्चे को पढ़ा-लिखाकर उसे दुनिया की सभी चीजों के बारे में ज्ञान प्राप्त कराता है और उस बच्चे के बडे होने पर उसे उच्च शिक्षा देकर उस बच्चे को जिस भी मार्ग में जाना हो, उसके लिए पहले से ही उसको तैयार करता है।गुरु की इसी शिक्षा की मदद से वो बच्चा बड़ा होकर दुनिया के बड़े बड़े पदों पर नौकरी करता है। हर इंसान के जीवन मे शिक्षक का बहुत ही बड़ा योगदान देता है।
आज किन हालातों में है शिक्षक….
हमारे देश में पहले गुरु की एक गरिमा होती थी इज्जत और मान सम्मान होता था, समाज में गुरु को इज्जत की नज़रो से देखा जाता था। पुरातन काल में गुरुकुल हुआ करते थे जहाँ बच्चें आश्रम के समस्त कार्य करते हुए शिक्षा ग्रहण करते थे, लेकिन अभी शिक्षक नैतिक शिक्षा के तहत बच्चों से झाड़ू लगवा ले या पानी भरवा ले तो शिकायत होते ही शिक्षक सस्पेंड हो जाता है।
शिक्षा का द्वार शाला है जहाँ बच्चें अध्ययन करने आते है लेकिन क्या शिक्षक अध्ययन करा पाते है, ये भी विचारणीय प्रश्न है क्यूंकि आजकल के ट्रेण्ड शिक्षक को कैसे अध्ययन कराना है इसकी अक्सर बात प्रशिक्षण में विभिन्न NGO के माध्यम से सिखाया जाता है जैसे शिक्षक अनुभवहीन है।
शाला अध्ययन का क्षेत्र है या सरकार के विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वन की जगह, ये भी समझ नहीं आता, आजकल जाति निवासी बनवाना है तो गुरु जी बनवाएंगे बच्चों का आयुष्मान कार्ड एप्प डाउनलोड करके शिक्षक बनाएंगे, स्वास्थ्य विभाग से आई हुई दवा खिलाएंगे और गलती से इन कामों में चूक हुई तो तीन दिन में जवाब देने के लिए स्पष्टीकरण भी शिक्षक देंगे।
शिक्षक समाज का एक जागरूक प्रणेता है इसीलिए कभी कभी उसकी ड्यूटी शौचालय किनके घर में है नहीं है इसकी गणना में भी लगाई जाती है और चुनाव के कार्य करवाने के साथ साथ चुनाव पूर्व अभिहित अधिकारी का कार्य भी करेगा।
सरकार चाहें कोई भी हो किसी भी पार्टी को उन्होंने शिक्षक को पढ़ाने के अलावा अन्यत्र काम में ज़्यादा उलझा दिया है और शिक्षक अगर पढ़ाना भी चाहें तो उसका कंटिन्यूटी से दिमाग़ भटक ही जाता है। हमेशा से शिक्षक शांत एकांत और एकाग्रता से ही पढाया है लेकिन आज के इस दौर में शिक्षक को इन सबसे दूर कर दिया गया।
ऐसे ही कई तरह के सामाजिक सर्वे उल्लास सर्वे पशु सर्वे इस तरह के कई विभागीय अन्य विभागीय कार्य शिक्षक से करवाया जाता है, सोचिये शिक्षक अध्यापन का कार्य को किनारे कर इस तरह के कई कार्य कर रहा है जिससे छात्रों का पढ़ाई का समय ही कम हो रहा है, ऐसे में कैसी गुणवत्ता आएगी।
प्राइवेट स्कूल से तुलना आखिर क्यों….
अक्सर देखा गया है कि सरकारी स्कूल के शिक्षकों की तुलना प्राइवेट स्कूल के शिक्षकों से की जाती है लेकिन जो तुलना करते हैं वह इस चीज को भूल जाते हैं कि एक सरकारी स्कूल का जो टीचर होता है वह कई तरह के सरकारी कार्य करता है और वह कम मानव संसाधन में वह पूरा स्कूल चलाता है।
वहीं अगर प्राइवेट स्कूल की बात किया जाए तो वहां पर्याप्त टीचर होते हैं, हर क्लास के लिए एक टीचर होते हैं और वहां का टीचर स्टूडेंट्स का अनुपात बहुत बेहतर होता है, वहां के टीचर को अन्य कई दूसरे काम जो होते हैं वह नहीं करने होते है।उनका काम सिर्फ एक होता है पढ़ाई कराना जबकि वहीं सरकारी स्कूल की बात की जाए तो वह टीचर ट्रेनिंग -पढ़ाने के अलावा 50 तरह के अन्य काम करता है जिससे बच्चों की गुणवत्ता बहुत ही ज्यादा खराब होती है तो सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए।
क्या शिक्षक भी जिम्मेदार हैं अपनी मान सम्मान के कमी में….
शिक्षक समाज का एक दर्पण होता है, वह अपने देश का भविष्य का निर्माण करता है छोटे-छोटे बच्चों को संस्कार छोटे बच्चों को नैतिक शिक्षा छोटे-छोटे बच्चों को ऐसे कई शिक्षा सिखाता है जो उसे उस देश का भविष्य का बेहतर नागरिक बनाती है।
कई बार ऐसा भी देखा गया है कि शिक्षक अपनी जिम्मेदारी को नहीं समझते, वो ऐसा क्यों करते हैं? अक्सर देखा गया है कि कई शिक्षक अपने बच्चों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं उनके साथ गाली-गलौज करते हैं। कई शिक्षक जो है स्कूल में शराब का सेवन करके आते हैं इससे बच्चों की मानसिकता पर क्या फर्क पड़ेगा? कई शिक्षक तो घंटा घंटा मोबाइल में लगे रहते हैं और तो और गुटखा तम्बाकू का सेवन तक करते हैं… यह स्कूल एक समाज का एक ऐसा स्थल है जहां पर आपको बहुत अच्छी सी चीज सिखाई जानी होती है और वहां पर अगर ऐसी हरकतें होगी तो बच्चों के मन मस्तिष्क पर क्या प्रभाव पड़ेगा और यही सब ऐसे कई कारण है जिससे वह शिक्षक दिनोदिन अपना प्रभाव समाज में खोता जा रहा है।
शिक्षक का प्रभाव बहुत गहरा पड़ता है और आजकल तो यह तक देखा जा रहा है कि कई शिक्षक जो है सोशल मीडिया में इधर-उधर की बारे में बातें लिखते हैं, कई ऐसी भड़काऊ बातें लिखते हैं जिससे लोगों को प्रभाव पड़ता है जबकि शिक्षक का कोई धर्म नहीं होता है धर्म एक आस्था का क्षेत्र है। जो अपने आस्था तक रखना चाहिए। शिक्षक धर्म जाति इन सबसे ऊँचा उठकर होता है, लेकिन आजकल देखा जा रहा है कि कई जगह शिक्षक ऐसी बातें लिख रहे हैं जो समाज को प्रभावित करता है, आपसी मनमुटाव पैदा करता है ।शिक्षक को जाति धर्म इन सबसे उठकर समाज के सृजन के बारे में सोचना चाहिए।
Teacher’s Day 5 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है?
Teacher’s Day 5 सितंबर को ही इसलिए मनाया जाता है क्योंकि 5 सितंबर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Dr Sarvepalli Radhakrishnan) का जन्म हुआ था। ये एक महान व्यक्ति के साथ साथ आजाद भारत के पहले उपराष्ट्रपति थे और डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी भारत के दूसरे राष्ट्रपति भी थे, इसके साथ साथ वो एक महान शिक्षक थें।
जब सन् 1962 में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने तो उनके छात्रों ने उनके जन्मदिन यानी कि 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा। जिसके लिए छात्र अनुमति मांगने के लिए उनके पास पहुंचे तभी से आजतक इसदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।