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December 5, 2024 9:40 pm

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90 के दशक में बस्तर संभाग में नक्सलियों ने प्रवेश किया था, घने जंगल और छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र की सीमा लगे होने के कारण नक्सली अबूझमाड़ तक पहुंच कर इसे मजबूत किला बनाने लगे

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कांकेर। केंद्र सरकार ने देश-प्रदेश से मार्च 2026 तक नक्सलवाद के खात्मे का ऐलान किया है. इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए बस्तर में लगातार एंटी नक्सल ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं. बस्तर संभाग में अब तक 207 नक्सली मारे गए हैं. वहीं कांकेर जिले की बात करें तो 40 नक्सली मुठभेड़ में मारे गए है. इनमें ताड़वयली क्षेत्र में बड़ी मुठभेड़ हुई है, जहां से 90 के दशक में बस्तर संभाग में नक्सलियों ने प्रवेश किया था. कांकेर जिले के अंतिम छोर पर बसे गांव ताड़वयली ये वो गांव है, जहां से महाराष्ट्र की सीमा शुरु होती है. कहा जाता है कि इसी इलाके से बस्तर संभाग में नक्सलियों ने प्रवेश किया था.नक्सली लीडर गणपति के मारे जाने के बाद नक्सलियों ने दोनों राज्यों की सीमा के बीच में उनका स्मारक भी बनाया था. जिसे सुरक्षा बल के जवानों ने तोड़ दिया है. इस स्मारक का अवशेष आज भी उसी जगह पर पड़ा हुआ है.तड़वायली गांव के ग्रामीणों ने चर्चा में बताया कि इलाके में पहली नक्सली पुलिस के साथ मुठभेड़ हुई थी. इसी इलाके से इनकी सक्रियता की खबरें निकलकर सामने आने लगी. घने जंगल और छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र की सीमा लगे होने के कारण नक्सली अबूझमाड़ तक पहुंच कर इसे मजबूत किला बनाने लगे.

सुरक्षाबल की सक्रियता के बावजूद इस क्षेत्र में आज भी नक्सली गतिविधियां संचालित हैं, जिसकी वजह से गाहे-बगाहे सुरक्षाबल और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ होती रहती है. 

Faizan Ashraf
Author: Faizan Ashraf

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