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January 6, 2025 8:51 pm

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सनकी बेटे की खौफनाक करतूत, कैंसर पीड़ित पिता को ईंट से कुचला, सौतेली मां को भी नहीं बख्शा, पढ़ें पूरा मामला

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फर्रुखाबाद जिले में मकान बेचने और रुपयों के विवाद में युवक ने कैंसर पीड़ित पिता व सौतेली मां को ईंट से कुचलकर व नुकीली चीज से वार कर मौत के घाट उतार दिया। ससुर की हालत खराब होने का बहाना बनाकर पत्नी को ससुराल छोड़ने कन्नौज जा रहा था, तो रास्ते में घटना की जानकारी दी। पत्नी की तहरीर पर पति के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है।

शहर के मोहल्ला बालाजीपुरम कोठा निवासी ओमप्रकाश पाल (70) और उनकी पत्नी बबली (55) की उसके पुत्र मनोज पाल ने ईंट से कुचलकर हत्या कर दी। ओमप्रकाश का शव चारपाई और बबली का शव जमीन पर पड़ा मिला। बबली मनोज की सौतेली मां थी। मनोज की पत्नी नम्रता ने सास व ससुर की हत्या करने की सूचना गुरुवार सुबह करीब 11 बजे थाने पहुंचकर दी। सूचना पर थानाध्यक्ष विनोद शुक्ला पुलिस बल के साथ पहुंचे।

फोरेंसिक टीम ने हत्या में प्रयुक्त ईंट समेत अन्य साक्ष्य एकत्रित किए। नम्रता की तहरीर पर पति मनोज के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पुलिस को दंपती वाले कमरे में मनोज का मोबाइल भी मिल गया। नम्रता ने बताया कि बुधवार रात मकान के प्रथम तल पर बने कमरे में पति माता-पिता के साथ लेटने की बात कहकर चले गए थे। रात ढाई बजे भूतल में उसके कमरे में आकर बोले कि तुम्हारे पिता की हालत खराब है।

मकान को इलाज के पैसों के लिए बेचना चाहता था पिता
इस पर वह तीनों बच्चों को साथ लेकर रोडवेज बस से पति के साथ चली गई। पति ने गुरसहायगंज उतरने की बजाय कन्नौज में उतारकर सास-ससुर की हत्या की जानकारी दी। वहां अकेला छोड़कर फरार हो गए। एसपी विकास कुमार ने बताया कि जांच में सामने आया है कि युवक का पिता दिल्ली के मकान को इलाज के पैसों के लिए बेचना चाहता था। पिता और पुत्र में रुपयों के लिए ही आए दिन विवाद होता था। इसी वजह से युवक ने दंपती की हत्या की है। पत्नी की तहरीर पर आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। गिरफ्तारी के लिए टीमें लगा दी गई हैं।

सौतेली मां के नाम बैंक में हैं कुछ रुपये
कैंसर के महंगे इलाज की खातिर दिल्ली स्थित मकान को बेचने के लिए आए दिन घर में विवाद होता था। ओमप्रकाश की पहली पत्नी से मनोज और दूसरी पत्नी से बेटी रूबी है। सौतेली मां बबली के नाम कुछ रुपये भी बैंक में होने की बात कही जा रही है। जिला हरदोई थाना सवायजपुर के गांव दत्तनगर सिवरिया निवासी ओमप्रकाश पाल का अधिकांश समय दिल्ली में नौकरी करते बीता। उन्होंने अपनी दूसरी पत्नी बबली के नाम दिल्ली में एक मकान बनवाया।

दो-तीन माह पहले गले में कैंसर की जानकारी हुई
ओमप्रकाश की पहली पत्नी से मनोज और दूसरी पत्नी बबली से दो पुत्रियां रूबी व काजल थीं। काजल की कुछ साल पहले मौत हो गई। रूबी की बदायूं के अलापुर में शादी कर दी गई। दो-तीन माह पहले ओमप्रकाश को गले में कैंसर की जानकारी हुई। इलाज के बाद भी उनकी हालत बिगड़ती चली गई। उनके गले में नली डाल दी गई। हालत में सुधार न होने पर करीब 27 दिन पहले दंपती बालाजीपुरम कोठा स्थित मकान में आ गया।

विवाद में गुस्से के चलते दंपती को मौत के घाट उतारा
यहां मनोज कुमार,उसकी पत्नी नम्रता, पुत्र हैप्पी, रौनक व कनक रहती थी। मनोज अपने बच्चों के साथ भूतल में बने कमरे में रहता था, जबकि माता-पिता प्रथम तल के कमरे में रहने लगे। कैंसर के महंगे इलाज को लेकर पिता और दंपती में आए दिन विवाद होता था। बबली के नाम खाते में कुछ रुपये भी बताए जा रहे हैं। मनोज मां पर दिल्ली का मकान बेचने और खाते से रुपये निकालने की बात कहता था, मगर दंपती इस बात से राजी नहीं थे। माना जा रहा है कि मनोज ने इसी विवाद में गुस्से के चलते दंपती को मौत के घाट उतार दिया।

पत्नी का मोबाइल लेकर चला गया मनोज
पुलिस ने जब दंपती के कमरे की तलाशी ली, तो उसमें एक मोबाइल मिला। पुलिस ने जब मोबाइल के बारे में नम्रता से पूछा, तो उसने बताया कि यह पति का है। नम्रता को इसका लॉक नंबर पता था। पुलिस ने फोन का लॉक खुलवाकर उससे हुई बातचीत का ब्योरा तलाश किया। अब सर्विलांस के सहारे आगे की कार्रवाई करने में जुट गई है।

गले नहीं उतर रही अकेले ही हत्या करने की बात
बेशक ओमप्रकाश की हालत गंभीर थी, फिर भी वह पूरी तरह चैतन्य थे। जबकि उनकी पत्नी बबली की उम्र 55 साल होने की वजह से शरीर से पूरी तरह स्वस्थ थीं। दंपती का सिर व चेहरा लहूलुहान था। अकेले मनोज ने एक बार बार किया होगा, तो दूसरा अवश्य चीखा होगा। यही नहीं कुचलते वक्त एक साथ मौत नहीं हो सकती। पुलिस भी कई सवाल जेहन में रख काम कर रही है।

थाने में ही बैठाए गए दो बच्चे
नम्रता जब बच्चों के साथ थाने पहुंची, तो उसके साथ मौजूद रौनक, हैप्पी व कनक भी थे। पुलिस नम्रता की गोद में मौजूद कनक के साथ घटनास्थल पर पहुंची। अन्य दोनों बच्चे थाने में ही रोक लिए गए। करीब 10 और आठ साल के बच्चों से भी पुलिस जानकारी हासिल करती रही।

Anash Raza
Author: Anash Raza

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