छत्तीसगढ़ सरकार ने शराब की FL-10 लाइसेंस व्यवस्था को खत्म कर दिया है। इस फैसले का मुख्य उद्देश्य शराब खरीदी में बिचौलियों की भूमिका को पूरी तरह समाप्त करना है। वर्तमान सरकार का दावा है कि पिछली सरकार के दौरान इस व्यवस्था की वजह से शराब के कारोबार में 2200 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था।
FL-10 लाइसेंस छत्तीसगढ़ में विदेशी शराब की खरीदी के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी किया गया था। इस लाइसेंस के तहत कंपनियां निर्माताओं से शराब लेकर सरकार को सप्लाई करती थीं, जिन्हें थर्ड पार्टी भी कहा जाता था। भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन का काम भी इसी लाइसेंस के तहत किया जाता था, हालांकि इसे बेवरेज कॉर्पोरेशन को सौंपा गया था।
FL-10 लाइसेंस की कैटेगरी:
- FL-10 A: इस कैटेगरी के लाइसेंस धारक देश के किसी भी राज्य के निर्माताओं से इंडियन मेड विदेशी शराब लेकर विभाग को बेच सकते हैं।
- FL-10 B: राज्य के शराब निर्माताओं से विदेशी ब्रांड की शराब लेकर विभाग को बेच सकते हैं।
नई व्यवस्था से क्या होंगे फायदे?
पूर्व आईएएस गणेश शंकर मिश्रा के अनुसार, FL-10 लाइसेंस की व्यवस्था 2017-18 में बनाई गई थी, जो 2020 में कांग्रेस सरकार द्वारा लागू की गई। थर्ड पार्टी ही सरकार को शराब की सप्लाई करने लगी और इसमें बड़ा कमीशन थर्ड पार्टी को मिल रहा था, जिससे शराब की कीमतें बढ़ रही थीं। नई व्यवस्था के तहत बेवरेज कॉर्पोरेशन सीधे शराब निर्माता कंपनियों से शराब खरीदेगा। इससे ग्राहकों को फायदा होगा क्योंकि बिचौलियों के हटने से शराब की कीमतों में कमी आएगी। नई व्यवस्था में सरकार का शराब की कीमतों पर नियंत्रण रहेगा, जिससे उपभोक्ताओं को कम कीमत में शराब मिलेगी।
नई व्यवस्था की तैयारी
नई व्यवस्था को लागू करने की तैयारी 2 महीने में पूरी की जाएगी। विभाग ने FL-10 लाइसेंसधारी कंपनियों को 2 महीने में स्टॉक खत्म करने के निर्देश दिए हैं। जितना स्टॉक बचेगा, उसे शराब कंपनियों को लौटाया जाएगा और लाइसेंस फीस भी वापस की जाएगी। इस कदम के बाद उम्मीद की जा रही है कि शराब की कीमतों में कमी आएगी और उपभोक्ताओं को सीधे लाभ मिलेगा।