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October 30, 2024 6:59 am

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गले में पहना आईकार्ड एक्टिवा के हैंडल में फंसा, फंदा कसने से छात्रा की मौत

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गले में पहने आईकार्ड की वजह से एक छात्रा की मौत हो गई। चलती गाड़ी पर आईकार्ड से उसे फंदा कस गया और उसने दम तोड़ दिया। मामले को देख पुलिस और डॉक्टर भी हैरत में है। 

घटना छोटा बांगड़दा रोड की है। यहां पर करीब 10.30 बजे सामने से आए ई-रिक्शा से सेजल (19) पिता राकेश जटिया निवासी उमंग पार्क कॉलोनी की टक्कर हो गई। सेजल गुरुवार सुबह होलकर कॉलेज जा रही थी। ई-रिक्शा से टक्कर में छात्रा के गले में टंगा आईकार्ड उसी की एक्टिवा के हैंडल में फंस गया और दम घुटने से उसकी मौत हो गई। एरोड्रम पुलिस के अनुसार, हादसा शीतला माता मंदिर के सामने हुआ है। शैजल कॉलेज के फर्स्ट ईयर में थी और डॉक्टर बनने के लिए नीट की तैयारी कर रही है। वह प्राइवेट नौकरी भी करती थी। उसके परिवार में माता-पिता के अलावा दो बहन और एक भाई है। पिता उज्जैन ईओडब्ल्यू ऑफिस में कॉन्स्टेबल हैं।

लोग वीडियो बनाते रहे
प्रत्यक्षदर्शी गिरीश देवड़ा ने बताया सेजल हमारे ठीक पीछे एक्टिवा से चल रही थी। उसने गले में आई-कार्ड पहन रखा था। मैं बेटी को कॉलेज छोड़ने जा रहा था। सेजल को सामने से आ रहे ई-रिक्शा से टक्कर लगी। टक्कर के बाद रिक्शा आगे बढ़ गया और उसकी एक्टिवा लड़खड़ा गई। इसी दौरान सेजल का आईकार्ड एक्टिवा के हैंडल में फंस गया। वह थोड़ी दूर तक गई और फंदा कसने से फिर से  लड़खड़ाई। इसके बाद उसका सिर एक्टिवा के मास्क पर टकराया। वह गिर पड़ी और उसके सिर से खून निकलने लगा। मैंने गाड़ी रोकी तो आई-कार्ड उसके गले में ही फंसा हुआ था। मैं दौड़ा और उसे उठाने लगा। तभी वहां से जा रहे बाइक सवार हेमेंद्र लोधी निवासी सांवरिया नगर आए। हम दोनों ने उसे उठाया। घटना के दौरान कई राहगीर सिर्फ वीडियो बना रहे थे। मुझसे वह उठ नहीं रही थी, हमारी मदद करने के लिए तीसरा राहगीर मोहन कौशल आया। हम तीनों ने एक रिक्शा में सेजल को बैठाया और उसे जिला अस्पताल लाए। हमने रास्तेभर उसे हिलाया और उसकी नब्ज देखी लेकिन अस्पताल पहुंचते ही उसकी सांसें थम गई।

एक्सीडेंटल इस्ट्रेंगुलेशन का केस
फॉरेंसिक एक्सपर्ट डॉक्टर भरत वाजपेयी ने बताया कि प्रारंभिक मामला एक्सीडेंटल था लेकिन जब पीएम हुआ तो देखा कि उसकी मौत चोट से नहीं हुई। शरीर पर चोट के सामान्य निशान थे लेकिन मौत दम घुटने से हुई। यह मेरे जीवन का दुर्लभ केस है। मैंने ऐसा पहले कभी नहीं देखा। इसे एक्सीडेंटल इस्ट्रेंगुलेशन कहते हैं।

Anash Raza
Author: Anash Raza

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