बस्तर अंचल में वनोपज के व्यापार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. पिछले कुछ सालों से हाट बाजारों में वनोपज की आवक में कमी आई. जानकारों के अनुसार वनोपज में कमी कारण घटते जंगल और मौसम में बदलाव है. जंगलों में पौधरोपण की भी कमी आई है. बता दें कि जंगल से संग्रहित वनोपज के लिए खरीदी का मुख्य केंद्र बस्तर अंचल में भरने वाले छोटे हाट बाजार है. इसके अलावा सरकारी समितियां भी क्रय केंद्र है.
इस साल महुआ की आवक में गिरावट दर्ज की गई है. इस तरह चिरौंजी और इमली की भी आवक कम मात्रा में हाट बाजारों में आई है. यह चिंता का विषय है. व्यापारियों की माने तो डिमांड बढ़ने से दाम बढ़ रहे है. स्थिति यही रही तो बस्तर में आने वाले कुछ सालों में हाट बाजारों में वनोपजों के व्यापार का ठप्प पड़ सकता है. वनोपज पर निर्भर आदिवासियों से उनकी आय का जरिया छिन सकता है.
इस मामले में बीजापुर वनमंडल अधिकारी रामाकृष्णम ने कहा कि दुनिया भर में जलवायु परिर्वतन है, जिसका असर बस्तर अंचल पर भी पड़ा है. इसके अलावा स्थानीय कारक भी है, जिसके कारण इस साल इमली के उत्पादन में कमी आई है. साथ ही अंदरूनी हिस्सों से भी आदिवासी हाट बाजारों में नहीं आ रहे हैं. इस कारण वनोपज की कमी आई है.