चार वर्षों में सरकार अयोध्या में करीब 31 हजार करोड़ रुपये का निवेश कर इसे नए सिरे से बसा रही है। यह यूपी के किसी भी जिले में इन वर्षों में किए गए निवेश से अधिक ही है। 2017-18 में यहां जमीन के करीब छह हजार सौदे हुए। 2022-2023 में सौदे साढ़े चार गुना बढ़कर 27,000 तक पहुंच गए। एक साल में ही पर्यटक सवा दो लाख से बढ़कर सवा दो करोड़ हो गए। जमीन की कीमत सिर्फ चार साल में दस गुना बढ़ गई। 30 साल पहले इस शहर में कोई आना नहीं चाहता था। लोग कहते थे, इस नगरी को माता सीता का श्राप लगा है। घर वीरान पड़े थे, क्योंकि नई पीढ़ी नौकरी के लिए दूर चली गई थी। मगर, राममंदिर से खड़े हुए धार्मिक पर्यटन ने नई अयोध्या तैयार कर दी है।
महंगी हो रही जमीन
प्रॉपर्टी डीलर बृजेंद्र दुबे करीब दस साल से जमीन की खरीद-फरोख्त का काम कर रहे हैं। वह बताते हैं कि जो जमीन चार साल पहले 1,000 रुपये/वर्ग फुट में आसानी से मिल जाती थी, वह आज 4000 रुपये/वर्ग फुट में भी नहीं मिल रही है। पहले इस काम से 10-20 लोग ही जुड़े थे, अब एक हजार से ऊपर हो गए हैं। कोसी परिक्रमा के आसपास जमीन पांच लाख में मिल जाती थी। अब 30 लाख तक में मिल रही है। शहर के अंदर रामपथ पर जमीन के दाम बहुत बढ़े हैं। दो साल में कीमत एक हजार से बढ़कर छह हजार रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई है।
-बृजेंद्र दुबे
बाजार दर बहुत अधिक, सरकार को हो रहा नुकसान
सरकार का सर्किल रेट कम है और बाजार का रेट बहुत अधिक है। रोजाना सैकड़ों रजिस्ट्री हो रही हैं। इससे सरकार को अच्छी-खासी चपत भी लग रही है। एक अफसर के मुताबिक सर्किल रेट बढ़ाने के लिए कई बार फाइल गई, मगर रुक जा रही है। सरकार का मानना है कि सर्किल रेट बढ़ने से उसे मुआवजा अधिक देना पड़ेगा। हालांकि जितना मुआवजा सरकार को भविष्य में नहीं देना पड़ेगा, उससे अधिक तो राजस्व में नुकसान हो जा रहा है। इसीलिए लक्ष्य के सापेक्ष आय नहीं हो पा रही है। 2023-24 वित्तीय वर्ष में दिसंबर में 1,028.81 लाख रुपये आय हुई, जो तय लक्ष्य का 74.71 फीसदी था।
नए सिरे से बस रही रामनगरी
अयोध्या में अब तक सबसे बड़ी रजिस्ट्री राम मंदिर ट्रस्ट ने कराई है। ट्रस्ट ने बैकुंठ धाम के पास 14 हजार 730 वर्गमीटर जमीन ली। इससे सरकार को 55 करोड़ 47 लाख 800 रुपये का राजस्व मिला। इसके अलावा आवास विकास प्राधिकरण ने टाउनशिप विकसित करने के लिए 1,194 एकड़ जमीन की खरीद की।
- बैनामे में आई कमी : विभागों की ओर से जहां-जहां जमीन का अधिग्रहण किया गया है, वहां जमीन की बिक्री में कमी आई है। दरअसल अधिग्रहण के आसपास की जमीन महंगी हो गई हैं। किसान भी नहीं बेच रहे हैं। इसमें सहादतगंज से नयाघाट मार्ग, गोसाईगंज बाईपास के आसपास के गांव, हवाई पट्टी के आसपास और प्रवेश द्वार राजेपुर उपरहार, दर्शन नगर रेलवे स्टेशन, पंचकोसी परिक्रमा मार्ग, चौदह परिक्रमा मार्ग और चौरासी कोसी परिक्रमा मार्ग के आसपास यही स्थिति है।
लोढ़ा ग्रुप ने सरकार से भी दिए अधिक दाम
बृजेंद्र दुबे बताते हैं कि लोढ़ा ग्रुप के आने के बाद जमीन के दाम आसमान छूने लगे। इस ग्रुप ने किसानों को सरकार के चार गुना सर्किल रेट के मुकाबले छह गुना तक दाम दिए। इस ग्रुप ने अयोध्या से बाहर रामपुर हलवारा, राजेपुर क्षेत्र के बीच में सोसायटी बनाने के लिए जमीन खरीदी। यहां 2020 तक हाल यह था कि 50 हजार रुपये बिस्वा जमीन मिल रही थी। आज दाम चार लाख रुपये बिस्वा हो गया है।
नौकरी छोड़ अपने शहर लौट रहे युवा
मलावन के अनूप पांडेय गुजरात में नौकरी करते थे। यहां के बढ़ते वैभव व संभावनाओं को देखते हुए नौकरी छोड़ दी और कार खरीदकर पर्यटकों के लिए लगा दी है। कहते हैं, अब घर पर ही रोजगार मिल रहा है। इंजीनियर बृजेश पाठक प्रयागराज से नौकरी छोड़कर आए और आयुर्वेदिक दवा बनाने लगे हैं। अविनाश दुबे ने नौकरी छोड़कर गुड़ बनाने का काम शुरू किया है। 50 रुपये से लेकर 5 हजार रुपये किलो तक गुड़ तैयार कर रहे हैं। गुड़ में स्वर्ण भस्म भी डाल रहे हैं। अरविंद चौरसिया चंडीगढ़ से लौटकर यहां डोसा की दुकान चला रहे हैं।
बानगी हैं तस्वीरें…
तस्वीरें बानगी हैं रामनगरी में आस्था और वैभव के संगम की। पहली तस्वीर महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की है, जो नई अयोध्या है। पहले चरण में इस पर 1450 करोड़ की लागत आई है। छह जनवरी से यहां उड़ान भी शुरू हो गई। अनुमान है कि प्रतिवर्ष लाखों यात्री यहां आएंगे। अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन भी अद्भुत बन पड़ा है। वहीं, दूसरी तस्वीर है दुनिया की सबसे बड़ी 108 फुट लंबी अगरबत्ती की। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास की मौजूदगी में इसे मंगलवार को प्रज्वलित किया गया। इस अगरबत्ती की खुशबू विकास में डूबी पूरी अयोध्या को 45 दिन तक सुगंधित करती रहेगी। इस अगरबत्ती का वजन 3610 किलो और चौड़ाई 3.5 फुट है। यह पर्यावरण के अनुकूल है। इसके निर्माण में 376 किलो नारियल के गोले, 1470 किलो गाय का गोबर, 420 किलो जड़ी बूटियां और 190 किलो घी का इस्तेमाल किया गया है।