अमर सुहाग की कामना के साथ महिलाएं वट सावित्री का व्रत रखेंगी। सुहागिन महिलाओं के लिए वट सावित्री की पूजा खास होती है। पूजा के दौरान सुहागिन महिला अपने जीवन साथी की लंबी आयु की कामना के लिए पूजा करती हैं।
महिलाएं छह जून को व्रत रखकर वट सावित्री की पूजा करेंगी। साथ ही दीर्घायु, स्वस्थ जीवन व उन्नति के लिए बुधवार अमावस्या पर व्रत शुरू करेंगी। इसका समापन गुरुवार को पूजा के साथ होगा। गजकेशरी योग सौभाग्य व प्रतिष्ठा का कारक माना जाता है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार बुधवार को शाम से अमावस्या शुरू होगी, जो छह जून की शाम 5.34 बजे तक प्रभावी रहेगी। उदया तिथि होने के कारण छह जून को दिनभर पूजा कर सकेंगे। पूजा के लिए सूर्योदय कालीन मुहूर्त सबसे उत्तम माना गया है। इसी दिन शनि जयंती भी है। शनि जयंती ज्येष्ठ अमावस्या के दिन मनाई जाती है। इस दिन शनिदेव की पूजा का विधान है। इस पूजा से विशेष फल प्राप्ति का योग बनता है।
वट वृक्ष की पूजा सावित्री-सत्यवान की घटना को आधार मानकर की जाती है। सावित्री-सत्यवान और यमराज की पूजा के पीछे माना जाता है कि वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देव वास करते हैं। वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाओं को सुबह स्नान ध्यान के बाद सत्यवान और सावित्री की पूजा करनी चाहिए। वट वृक्ष को जल चढ़ाकर पूजा के लिए जल, फूल, रोली-मौली, कच्चा सूत, भीगा चना, गुड़ चढ़ाना चाहिए।