फर्जी फर्म बनाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का लाभ लेने वालों के खिलाफ केंद्रीय जीएसटी द्वारा विशेष अभियान चलाया जा रहा है.
सीजीएसटी रायपुर ने बीते दिनों विशेष खुफिया जानकारी, डेटा विश्लेषण और व्यापक निगरानी के आधार पर फर्जी चालान बनाने और केवल इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) पारित करने के उद्देश्य से बनाए गए 13 फर्जी फर्मों के एक नेटवर्क का भंडाफोड़ किया था. जिसके बाद अब इस नेटवर्क से जुड़े एक और आरोपी की गिरफ्तारी हुई है. रैकेट के मास्टरमाइंड हेमन्त कसेरा को एक महीने पहले गिरफ्तार किया जा चुका है.
जानकारी के मुताबिक, सीजीएसटी रायपुर की जांच में यह पाया गया कि हेमंत कसेरा द्वारा संचालित फर्मों द्वारा इस तरह की फर्जी आईटीसी की बड़ी मात्रा रायपुर में स्थित मेसर्स त्रिवेणी मेटालिक इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स त्रिवेणी एंटरप्राइजेज को दी गई है. इसके बाद इन फर्मों की जांच करने पर यह पता चला कि न केवल 2 फर्म बल्कि अन्य 4 फर्म सर्वेश कुमार पाण्डेय द्वारा नियंत्रित और प्रबंधित की जाती हैं. दस्तावेजों, खातों और रिटर्न की गहन जांच के बाद यह पाया गया कि सर्वेश ने न केवल हेमंत कसेरा से बल्कि कई अन्य जाली/फर्जी फर्मों से भी फर्जी बिल खरीदे हैं. अब तक की जांच मे 71.38 करोड़ रुपये की फर्जी आईटीसी का पता चल चुका है, जिसका लाभ पाण्डेय ने जीएसटी से बचने के इरादे से लिया था.
केंद्रीय जीएसटी की टीम ने इस मामले के आरोपी सर्वेश कुमार पाण्डेय को सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 69 (1) के तहत गिरफ्तार किया गया और अदालत में पेश किया. पेशी में दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद अदालत ने आरोपी की न्यायिक हिरासत मंजूर की है.
अब तक 17 हो चुके है गिरफ्तार
गौरतलब है कि सीजीएसटी रायपुर कर चोरों के खिलाफ और विशेष रूप से फर्जी बिलिंग के कारोबार में शामिल करदाताओं के खिलाफ सख्त प्रवर्तन कार्रवाई कर रहा है. इन गिरफ्तारियों के साथ, 2017 में जीएसटी कानून लागू होने के बाद से फर्जी बिलिंग के संबंध में सीजीएसटी रायपुर आयुक्तालय द्वारा गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की संख्या बढ़कर 17 हो गई है.