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October 30, 2024 2:56 pm

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रंगों में मौजूद हानिकारक रसायनों से हो सकती हैं गंभीर समस्याएं, बहुत जरूरी हैं ये सावधानियां

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रंगों के त्योहार होली की धूम देशभर में देखी जा रही है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी इस त्योहार के जरिए प्यार-भाईचारे के रंग में रंग जाना चाहते हैं। विशेषरूप से बच्चों को होली बहुत पसंद आती है। कई लोगों के लिए तो यह त्योहार हफ्तों पहले ही शुरू हो जाता है। इसके साथ लजीज मिठाइयां और पकवान होली के उत्सव में चार चांद लगा देते हैं। 

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, होली के उत्सव में सेहत को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए। मिठाइयों और पकवान के कारण जहां ब्लड शुगर बढ़ने का खतरा होता है, वहीं रंग-गुलाल अस्थमा की समस्या बढ़ा सकते हैं। इतना ही नहीं बाजार में मिलने वाले रंगों में कई प्रकार के रसायन होते हैं जिसके कारण अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम हो सकता है।

आइए जानते हैं कि कृत्रिम रंगों से सेहत को किस प्रकार का जोखिम हो सकता है और इनसे बचाव के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए?

Holi Colors 2024 Side effects of Harmful holi Colors know Tips To Protect Yourself from side effects

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होली के रंगों में हो सकते हैं कई रसायन – फोटो : Pixabay

कृत्रिम रंगों में होते हैं हानिकारक रसायन

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, पहले के समय में फूलों और वनस्पतियों से तैयार रंगों से होली खेली जाती थी, हालांकि समय के साथ बाजार में मिलने वाले हानिकारक रंगों ने इसे रिप्लेस कर दिया। जांच में पाया गया है कि इन कृत्रिम रंगों में लेड ऑक्साइड, क्रोमियम आयोडाइड, कॉपर सल्फेट, मरकरी सल्फाइट जैसे हानिकारक तत्वों का मिश्रण हो सकता है। ये त्वचा के संपर्क में आकर कई प्रकार की एलर्जी और दुष्प्रभावों का कारण बन सकते हैं। 

हानिकारक रसायन युक्त इन रंगों से खुजली, लालिमा और त्वचा में जलन बढ़ने के साथ दीर्घकालिक रूप से भी कई प्रकार की दिक्कतें हो सकती हैं।

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त्वचा और आंखों के लिए नुकसानदायक

बाजार में मिलने वाले रासायनिक रंगों से त्वचा में जलन, लालिमा, खुजली की समस्या हो सकती है। जिन लोगों की त्वचा संवेदनशील होती है उनके लिए और भी दिक्कतें होने का जोखिम रहता है। रसायन युक्त ये रंग स्किन एलर्जी को भी ट्रिगर कर सकते हैं। त्वचा की समस्याओं के अलावा रासायनिक रंग अगर आंखों में चले जाएं तो इसके कारण आंखों में जलन, लालिमा, पानी आने और कुछ स्थितियों में आंखों की गंभीर समस्याओं का भी खतरा रहता है।

लेड जैसे हानिकारक तत्वों के कारण कई प्रकार की क्रोनिक बीमारियों और यहां तक कि कैंसर का भी खतरा हो सकता है।

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स्किन एलर्जी और सांस की दिक्कत

डॉ. कहते हैं कि चूंकि होली धूप में खेली जाती है, इसलिए इससे त्वचा को और नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है। धूप के कारण त्वचा सूखी होती है और इन रंगों में मौजूद रसायनों के कारण त्वचा की नमी और भी प्रभावित हो सकती है। यही कारण है कि गीले रंगों से बचाव करने की सलाह दी जाती है।

इसके अलावा होली उत्सव के दौरान गुलाल और रंग उड़ाए जाते हैं जिससे वातावरण में प्रदूषण बढ़ जाता है। इस तरह की स्थितियों में सांस की समस्या से परेशान लोगों की दिक्कत और भी बढ़ सकती है। ये सांस लेने में परेशानी, उलझन और बेहोशी तक का कारण बन सकती है।

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रंगों के कारण होने वाली दिक्कतों से कैसे बचें?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, कृत्रिम तरीकों से बनाए गए रंग चाहे सूखे हों या गीले, दोनों हानिकारक हो सकते हैं। इससे होने वाले जोखिमों से बचाव के लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। होली खेलने के लिए बाहर जाने से पहले त्वचा पर सनस्क्रीन या मॉइस्चराइजर जरूर लगाएं। ये त्वचा को सूखने से बचाती है साथ ही इससे स्किन पर बनी परत, रंगों को सीधे त्वचा में पहुंचने से रोकती है।

त्वचा या चेहरे पर रंग लग जाए तो उसे तुरंत धो लें। सबसे पहले अपने चेहरे को खूब पानी से धोएं, इसके बाद क्लींजिंग क्रीम या लोशन लगाएं। आंखों के आसपास के क्षेत्र को साफ करना न भूलें। आंखों में रंग चला जाए तो साफ पानी से आंखों को अच्छी तरह धोएं। त्वचा से रंगों को निकालने के लिए ज्यादा रगड़ें नहीं। 

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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 

Anash Raza
Author: Anash Raza

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