हाइलाइट्स
उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे 41 मजदूरों का बचाव ऑपरेशन तीसरे हफ्ते में प्रवेश कर चुका है.
रविवार को सुरंग के ऊपर से सीधे नीचे वर्टिकल ड्रिलिंग का काम भी शुरू हो गया.
सुरंग की बगल से यानी साइडवेज ड्रिलिंग के एक अन्य विकल्प पर विचार किया जा रहा है.
उत्तरकाशी. उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग (Uttarkashi Tunnel Rescue Operation) में 12 नवंबर से फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए ऑपरेशन जारी है. मजदूरों को बचाने का ऑपरेशन अब तीसरे हफ्ते में प्रवेश कर चुका है और रविवार को सुरंग के ऊपर से सीधे नीचे वर्टिकल ड्रिलिंग का काम भी शुरू हो गया. जहां अमेरिका में बनी ऑगर ड्रिलिंग मशीन के टूटे हुए हिस्सों की मरम्मत की कोशिश चल रही हैं, वहीं हाथ से यानी मैन्युअल खुदाई शुरू करने की भी कोशिश चल रही है. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर) सैयद अता हसनैन ने कहा कि 6 बचाव योजनाएं तैयार हैं. उन्होंने सबसे अच्छे विकल्प के बारे में भी जानकारी दी.
एनडीएमए के सदस्य सैयद अता हसनैन ने कहा कि रविवार से शुरू हुई वर्टिकल ड्रिलिंग दूसरा सबसे अच्छा विकल्प है. यह दोपहर के आसपास शुरू हुआ और 15 मीटर की ड्रिलिंग पहले ही पूरी हो चुकी है. उन्होंने कहा कि पहाड़ से सीधे 86 मीटर नीचे ड्रिलिंग के बाद सुरंग की परत को तोड़ना होगा, ताकि फंसे हुए मजदूरों को बाहर निकाला जा सके. मजदूरों को बचाने के लिए सुरंग की बगल से यानी साइडवेज ड्रिलिंग के एक अन्य विकल्प पर विचार किया जा रहा है. हालांकि साइडवे ड्रिलिंग करने के लिए मशीनें अभी तक सुरंग के ढहे हिस्से पर नहीं पहुंची हैं.
ड्रिफ्ट टेक्नोलॉजी
हसनैन ने बताया कि अगर अन्य विकल्प काम नहीं करते हैं तो बचाव का एक अन्य तरीका ड्रिफ्ट टेक्नोलॉजी को अपनाया जा सकता है. इसके लिए हमें पाइप को स्थिर रखना होगा, ड्रिलिंग मशीन के टूटे हुए हिस्सों को हटाना होगा, किनारे पर ड्रिफ्ट शुरू करने की तैयारी करनी होगी, ऊपर से नीचे की ड्रिलिंग की तैयारी करनी होगी. इसके साथ ही अंदर फंसे 41 मजदूरों को मानसिक तौर पर स्थिर और मजबूत करना होगा और उनके मानसिक स्वास्थ्य की निगरानी करते रहनी होगी. क्योंकि यह ऑपरेशन लंबे समय तक चल सकता है.
बरकोट की ओर से बचाव सुरंग
एनडीएमए सदस्य ने बताया कि सुरंग के बारकोट छोर से ब्लास्ट तकनीक का उपयोग करके 483 मीटर लंबी बचाव सुरंग बनाई जाएगी. हसनैन ने कहा कि पांचवां विस्फोट आज सुबह किया गया और 10-12 मीटर भीतर तक जगह बनाई गई. इससे पहले 23 नवंबर को उन्होंने कहा था कि टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (टीएचडीसी) ने बारकोट की ओर से एक बचाव सुरंग का निर्माण शुरू किया है. उन्होंने कहा कि रोजाना तीन विस्फोट करने का प्रयास किया गया.
बरकोट की ओर से सीधे नीचे ड्रिलिंग
हसनैन ने बताया कि एक अन्य बचाव विकल्प में सुरंग के बारकोट छोर से नीचे सीधे वर्टिकल ड्रिलिंग शामिल है, जिसे तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) अंजाम देगा. हसनैन ने कहा कि बरकोट की ओर से 24 इंच की ड्रिलिंग होगी. जिसके लिए 5 किलोमीटर लंबी सड़क की जरूरत है और इसका निर्माण सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा किया जा रहा है.
सीधे ड्रिलिंग ही सबसे बेहतर विकल्प
एनडीएमए के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने सामने की ओर सीधे ड्रिलिंग को अब तक का सबसे अच्छा विकल्प बताया, जिसके तहत 47 मीटर की ड्रिलिंग पूरी हो चुकी है. उन्होंने यह भी कहा कि बरमा मशीन के टूटे हुए हिस्सों को निकालने का काम जारी है. इसके लिए मैग्ना और प्लाज्मा कटर का उपयोग किया जा रहा है.
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FIRST PUBLISHED : November 27, 2023, 06:26 IST