राजस्थान (Rajasthan) में भजनलाल सरकार के मंत्रिमंडल में कुल 24 मंत्री है. वहीं तिजारा से बीजेपी विधायक बाबा बालकनाथ (Baba Balaknath), पोकरण से विधायक महंत प्रतापपुरी और हवामहल से बीजेपी विधायक बालमुकंद आचार्य को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है. ऐसे में जहां एक समय बाबा बालकनाथ को सीएम की रेस में माना जा रहा था वहीं उन्हें मंत्री न बनाए जाने के पीछे कई वजहें सामने आ रही हैं. दरअसल, राजस्थान में बाबाओं, महंतों को मंत्री न बनाए जाने का चलन रहा है. अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) की 25 साल की सरकार में कोई भी चर्चित बाबा या महंत नहीं रहा.
पहली बार बीजेपी में ये तीन प्रमुख बाबा, महंत और आचार्य चुनाव जीत कर आए हैं. ऐसे में इनके मंत्री बनने की उम्मीद बढ़ी गई थी. तीनों मुस्लिम बहुल सीटों पर चुनाव जीते भी हैं. ऐसे में इनके लिए चीजें आसान दिखने लगी थीं.
बयानों के कारण चर्चा में रहे हैं ये विधायक
टिकट मिलने के बाद से तिजारा से चुनाव मैदान में उतरने वाले बाबा बालकनाथ चर्चा में बने रहे. उनके साथ कई बार सीएम का नाम भी जोड़ा जाने लगा था. एक बार मंच से उन्होंने वसुंधरा राजे के भावी मुख्यमंत्री जैसी बातें भी कह दी थीं. चुनाव जीतने के बाद कुछ बयान उनके चर्चा में रहे. इसके साथ ही हवामहल के विधायक बालमुकुंद आचार्या अपने बयानों की वजह से चर्चा में बने हुए हैं. आए दिन उनके बयानों से पार्टी में भी खलबली मची हुई है. ऐसे में इन्हें भी दूर रखा गया. इसके साथ ही मंहत प्रतापपुरी को भी मंत्रिमंडल में जगह न देकर एक बड़ा संदेश दिया गया है.
…ताकि कोई कंट्रोवर्सी न हो
राजस्थान में आज मंत्रियों की शपथ के बाद जिस तरह से विधायकों को जगह मिली है. उसपर राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार जगदीश शर्मा का कहना है कि सरकार में कोई कंट्रोवर्सी न हो इसके लिए बाबा, महंत और आचार्या को मंत्री नहीं बनाया गया है. राजस्थान में इसके पहले भी सरकार में बाबा और महंत को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलती रही है. सामान्य लोगों को जगह दी गई है. लोकसभा चुनाव को देखते हुए ये निर्णय लिया गया होगा.