छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को छत्तीसगढ़ विधानसभा का अध्यक्ष चुना गया है। प्रोटेम स्पीकर रामविचार नेताम ने उनके निर्विरोध निर्वाचित होने की सदन में घोषणा की। प्रोटेम स्पीकर के अनुरोध पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने मिलकर सिंह को अध्यक्ष की आसंदी तक लेकर गए। इसके बाद सीएम विष्णु देव साय , प्रोटेम स्पीकर नेताम, चरणदास महंत, भूपेश बघेल समेत सभी दिग्गज नेताओं ने रमन सिंह को बधाई और शुभकामनाएं दी। सभी ने उनके 15 साल के शासनकाल, कुशल नेतृत्व और सादगी की खुले कंठ से कोटी-कोटी प्रशंसा की।
सीएम साय और भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया। इस मौके पर रमन ने नवनिर्वाचित विधानसभा के सभी सदस्यों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अब मैं एक नई भूमिका में रहूंगा। मेरी नई जिम्मेदारी विधानसभा में सभी को साथ लेकर चलने की होगी। मेरी जिम्मेदारी सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच संतुलन बनाने की रहेगी। उन्होंने कहा कि मैं अपनी नई जिम्मेदारी का निर्वहन करूंगा और राज्य विधानसभा को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का प्रयास करूंगा।
पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से दे चुके हैं इस्तीफा
इससे पूर्व विधानसभा में अध्यक्ष पद के लिए नामांकन सौंपने के पूर्व मुख्यमंत्री ने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे चुके हैं। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भेजे इस त्यागपत्र में लिखा कि “वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद का निर्वहन कर रहा हूं किंतु भारतीय जनता पार्टी द्वारा मुझे छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष पद हेतु नामित किया गया है। अतः भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष से मेरा त्यागपत्र सादर प्रस्तुत है, कृपया मेरा त्यागपत्र स्वीकार किया जाए”।
पिछले दिनों किया था नामांकन दाखिल
इससे पूर्व रमन सिंह ने रविवार को छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया। उस दौरान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उप मुख्यमंत्री अरुण साव और विजय शर्मा, कांग्रेस विधायक दल के नेता चरण दास महंत और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मौजूद रहे।
कुशल मुख्यमंत्री और चाऊर वाले बाबा के रूप में हुए फेमस
हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में रमन ने कांग्रेस प्रत्याशी गिरीश देवांगन को 45,084 वोटों के अंतर से हराया। वो राज्य में पार्टी का सबसे महत्वपूर्ण चेहरा बने हुए हैं। सात बार के विधायक रहे सिंह साल 2008 से राजनांदगांव विधानसभा सीट से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वो साल 1999 में लोकसभा सांसद के रूप में चुने गए। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री के रूप में दायित्व का निर्वहन किया। 71 वर्षीय सिंह प्रदेश में चाऊर वाले बाबा के रूप में जाने जाते हैं। बीजेपी छत्तीसगढ़ को पिछड़े राज्य से उबारने का श्रेय उन्हें ही देती है। साल 2003 से 2018 के 15 साल साल के कार्यकाल में वो प्रदेश के कुशल मुखिया के रूप में अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया। हालांकि वर्ष 2018 के चुनावों में उनके नेतृत्व में बीजेपी को भारी हार का सामना करना पड़ा था और 15 सीट पर ही पार्टी सिमट गई थी। इसलिए बीजेपी ने इस बार के चुनाव में राज्य में मुख्यमंत्री का कोई चेहरा पेश नहीं किया। बिना चेहरे के ही चुनाव लड़ा। चुनाव में जीत के बाद सिंह सीएम पद के दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन पार्टी ने लोकसभा चुनाव के समीकरण को देखते हुए वरिष्ठ आदिवासी नेता विष्णुदेव साय को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया।