युक्तियुक्तकरण के खिलाफ सर्व शिक्षक संघ ने खोला मोर्चा…. सर्वविदित है कि राज्य सरकार ने विद्यालयों को मर्ज करने और अतिशेष शिक्षकों को अन्य स्कूलों में पदस्थ करने के नाम पर युक्तियुक्तकरण करने की योजना बनाई है और इसके लिए दिशा निर्देश भी जारी कर दिया गया है ।
सर्व शिक्षक संघ ने इसका तीखा विरोध किया है, संघ के प्रदेश संयोजक विवेक दुबे ने यूट्यूब पर वीडियो जारी कर युक्तियुक्तकरण की खामियों को उजागर किया था और कहा था कि हम अपनी रणनीति के साथ इसका विरोध करेंगे और अब सर्व शिक्षक संघ में इसका जोर-शोर से विरोध शुरू कर दिया है । प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप पाण्डेय द्वारा बनाए गए रणनीति के अनुरूप सभी विधानसभा में विधायकों को अब मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा जा रहा है, जिसमे युक्तियुक्तकरण को स्थगित कर पदोन्नति और स्थानांतरण पहले करने की मांग रखी गई है ।
संगठन का कहना है कि पदोन्नति और स्थानांतरण करने से व्यवस्था अपने आप बन जाएगी और सरकार चाहे तो तत्काल एकल शिक्षकीय और शिक्षक विहीन स्कूलों की सूची जारी कर दें और जो भी शिक्षक स्वेच्छा से वहां पदस्थापना चाहते हैं उन्हें पदस्थ कर दें । संघ का कहना है कि जो शिक्षक अन्यत्र जिले में हैं वह स्वेच्छा से अपने गृह जिले के किसी भी एकल शिक्षकीय या शिक्षक विहीन स्कूलों में पदस्थापना देने के लिए तैयार हैं , इसी प्रकार बरसों से पदोन्नति की राह देख रहे शिक्षक भी पदोन्नति के लिए ऐसे स्कूलों में जाने को तैयार हैं पर विभाग उन्हें उनका हक देने के बजाय युक्तियुक्तकरण कर शिक्षकों को अनावश्यक रूप से परेशान कर रहा है ।
इन्हीं बातों को मुख्यमंत्री तक पहुंचाने के लिए सर्व शिक्षक संघ विधायकों से मुलाकात कर उन्हें अपनी समस्या से रूबरू कराने का निर्णय लिया है। जिसके तहत आज केदार कश्यप जी विधायक नारायणपुर मंत्री वन एंव जलवायु परिवर्तन को युक्तियुक्तकरण से सम्बंधित ज्ञापन दिया गया । ज्ञापन सौपने में नारायणपुर जिला से जिलाध्यक्ष हेमंत भुआर्य और पालेश्वर कुमार, हीरा लाल, राकेश सोनी, कृष्ण और विद्या ठाकुर और अन्य शिक्षक शामिल रहे।
2008 के सेटअप में भर्ती व पदस्थ शिक्षक आखिर बिना ट्रांसफर हुए अतिशेष क्यो होंगे, हेमंत ने आरोप लगाया कि युक्तियुक्तकरण के नाम पर प्रायमरी व मिडिल स्कूलों में पदों की कटौती की योजना बनाई जा रही है। युक्तियुक्तकरण नियम सेटअप 2008 का खुला उलंघन है, इसे खारिज किया जाना चाहिए।
2008 के सेटअप के अनुसार युक्तियुक्तकरण नीति नही है, इसमे न्यूनतम छात्र संख्या वाले प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक शाला में 1 – 1 शिक्षक संख्या कम कर सेटअप को ही बदल दिया गया है, आखिर शिक्षा विभाग अपनी रीढ़ सेटअप को कैसे बदल सकता है, इससे बालक व पालक को शाला में कम शिक्षक उपलब्ध होगा जिसका सीधा असर शिक्षा के गुणवत्ता पर पड़ेगा तथा पद रिक्त न होने से नई नियुक्तियां प्रभावित होंगे।
युक्तियुक्तकरण की दोषपूर्ण नीति से शिक्षा की गुणवत्ता गिरेगी, अतिशेष शिक्षकों के समायोजन की शिक्षा विभाग की सोच सही है लेकिन शिक्षा विभाग इस बात का जवाब दे की शालाओं के सेटअप हेतु निर्धारित पद के अतिरिक्त पोस्टिंग करने वाले अधिकारी कौन हैं। अधिकारियों ने गलती क्यों की.. शाला विशेष में पद रिक्त नहीं होने के बाद भी पदोन्नति या ट्रांसफर में ज्यादा संख्या में शिक्षकों को पदस्थ किया। किसी भी शाला में सेवारत शिक्षकों का कोई दोष नहीं है क्योंकि उनकी पदस्थापना शिक्षा विभाग के अधिकारियों के द्वारा ही किया गया है।