दिल्ली पुलिस की साइबर यूनिट को मंगलवार को बड़ी सफलता मिली है. साइबर यूनिट ने डार्क वेब पर भारतीयों की निजी जानकारी बेचने के आरोप में 4 लोगों को गिरफ्तार किया है. बताया जा रहा है कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के डेटा बैंक से डेटा लीक किया गया था और इसे डार्क वेब पर बिक्री के लिए डाल दिया गया था.
पुलिस ने करीब 10 दिन पहले इन आरोपियों को गिरफ्तार किया था. डार्क वेब एक ऐसी जगह है, जहां इंटरनेट यूजर्स का डेटा अलग-अलग दाम में बेचा जाता है.
बताया जा रहा है कि 10 दिन पहले ICMR का डेटा लीक हुआ था. इसे डार्क वेब पर डाला गया था. पुलिस ने इस मामले में 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इनमें ओडिशा का रहने वाला ऋतिक मुख्य आरोपी है. जबकि अन्य आरोपी हरियाणा और झांसी के हैं. दिल्ली पुलिस के अलावा इस मामले में सीबीआई ने भी केस दर्ज किया है. सूत्रों ने आजतक को बताया कि जांच में अभी तक ये सामने नहीं आया की डेटा ऑनलाइन लीक हुआ है, आशंका है कि डिपार्टमेंट के किसी आदमी ने फिजिकली इसे आरोपियों को दिया है.
क्या है? Dark Web
डार्क वेब इंटरनेट की दुनिया का वो हिस्सा है, जहां तक आपका सर्च इंजन नहीं पहुंचता है. इन्हें स्पेशल वेब ब्राउजर से एक्सेस किया जा सकता है. इसका पोर्शन छोटा होता है. Kaspersky के मुताबिक, इसे डीप वेब का हिस्सा माना जाता है. जिस तरह से समुद्र की सतह और पानी ने नीचे कुछ हस्से तक तो हमारी पहुंच होती है, लेकिन एक हिस्सा ऐसा भी जहां तक अभी तक कोई नहीं पहुंचा है. डार्क वेब इंटरनेट की दुनिया का वही हिस्सा है. इस हिस्से तक बहुत कम लोगों की पहुंच है. यहां के वेब पेज को सर्च इंजन द्वारा इंडेक्स नहीं किया जाता है. डार्क वेब को बहुत खतरनाक माना गया है और यहां पर कई अवैध काम होते हैं.
साइबर वर्ल्ड की ये दुनिया अवैध कामों का ठिकाना माना जाता है. कभी इस दुनिया में हैकर्स, लॉ इंफोर्समेंट ऑफिसर्स और साइबर क्रिमिनल्स का दबदबा होता था. हालांकि, एन्क्रिप्शन और The Onion Router जैसी नई टेक्नोलॉजी की मदद से लोग डार्क वेब तक पहुंच सकते हैं. वैसे तो डार्क वेब का इस्तेमाल गैरकानूनी नहीं है, लेकिन इसके कई खतरे होते हैं. यहां आप स्कैम, संदिग्ध सॉफ्टवेयर या सरकारी मॉनिटरिंग का शिकार हो सकते हैं. यही वजह है कि सामान्य यूजर्स को इंटरनेट की इस दुनिया से दूर रहने की सलाह दी जाती है.