भारत सरकार संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत सांस्कृतिक श्रोत प्रशिक्षण नई दिल्ली के निर्देश से राज्य सरकार द्वारा प्रदेश से सभी जिलों से अलग अलग शिक्षक का चुनाव कर विभिन्न विषयों के आधार पर सांस्कृतिक श्रोत प्रशिक्षण शिविर का आयोजन देश के अलग अलग प्रदेशो में दिया जा रहा रहा है। प्रदेश स्तर से सांस्कृतिक श्रोत के लिए मध्यप्रदेश के जिला दमोह के किया गया है।
प्रशिक्षण का उद्देश्य क्या है….
जिनका विषय प्राकृतिक एवम सांस्कृतिक विरासत संरक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका है। इनका मुख्य उद्देश्य अपने आसपास की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को लोगो तक पहुंचा ही है। इसी कड़ी में आज छत्तीसगढ़ की टीम ने छतीसगढ़ी व्यंजन की प्रदर्शनी के साथ छत्तीसगढ़ की विभिन्न लोकगीत जिसमे सुवा, कर्मा , जस गीत ,भोजली ,तीज पोरा गीत ,हरेली गीत ,पंथी ,रावतनाचा ,नाचा गीत आदि का प्रस्तुति किया गया।
कार्यक्रम की प्रारंभ छत्तीसगढ़ राज्य गीत अरपा पैरी के धार से हुआ । इस कार्यक्रम के लिए पूरे छत्तीसगढ़ के अलग अलग जिलों से 10 लोगो का चयन किया गया है । जिसमे रायपुर से राजेश शर्मा, श्रीमती जिया पटेल,सरगुजा से विपिन बिहारी गहवई ,जांजगीर चित्रकांत पांडे , बलौदा बाजार जगदीश साहू धमतरी श्रीमती ममता साहू बिलासपुर श्रीमती मंजू लता मेरसा ने इस प्रशिक्षण में अपनी भागीदारी दी है।
इस प्रशिक्षण में 10 राज्य बिहार कर्नाटक, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा ,उड़ीसा,मध्यप्रदेश, गोवा, राजस्थान से प्रतिभागी आए हुए है । जहा सभी अपने अपने संस्कृति की आदान प्रदान प्रस्तुतिकरण के माध्यम से कर रहे है। कल तृतीय दिवस छत्तीसगढ़ टीम ने सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दिया जिसकी सभी ने सराहना की है।